नगर निगम चुनाव के जमकर धनबल का प्रयोग हुआ है। मेयर हो या पालिकाध्यक्ष या फिर नगर पंचायत सब जगह जमकर पैसा उड़ाने की चर्चा अब आम हो रही है। वार्डों के पार्षद बनने के लिए भी लाखों रुपए उम्मीदवारों ने खर्च कर दिए हैं। रातों रात वोट के बदले नोट के जरिए कई जगह चुनाव के परिणाम अपने पक्ष में करने के लिए काम किया गया है। कमाल की बात ये है कि धन का इस प्रयोग को उन्होंने ज्यादा किया जो सार्वजनिक मंचों पर लोकतंत्र और संविधान की दुआई देने से पीछे नहीं हटते हैं।
हरिद्वार के किन वार्डों में हुआ सबसे ज्यादा खर्च
वरिष्ठ पत्रकार रूपेश वालिया ने बताते हैं कि लोकतंत्र अब धनतंत्र में बदल चुका है। इस बार के नगर निकाय चुनाव में जिस तरह से पैसे का इस्तेमाल हुआ वो हैरान कर देने वाला है। जिस दल के प्रत्याशी के पास पैसा था उसने वोटरों को अपने पाले में लाने के लिए जमकर पैसा लुटाया है। कई वार्डों में पार्षद पद के उम्मीदवारों का खर्चा दस लाख से पचास लाख तक पहुंचा है।
उत्तरी हरिद्वार के कई वार्डों में पैसा और महंगी शराब का चलन था।
यहां के तीन वार्ड ऐसे थे जहां खुल्ला खेल हो रहा था। कनखल के एक वार्ड में तो हद ही पार हो गई। यहां कांग्रेस, भाजपा और निर्दलीय तीनों ही प्रत्याशियों ने रिकार्ड खर्च किया है। वहीं दूसरी ओर ज्वालापुर में भी धनबल का जमकर प्रयोग हुआ है। रातों रात नोट के बदले वोट वाला खेल हुआ।
सिस्टम बस सुनता रहा एक्शन नहीं हुआ
वरिष्ठ पत्रकार आदेश त्यागी बताते हैं कि आमतौर पर ये माना जाता है कि शहरी आबादी में धनतंत्र ज्यादा नहीं चलता है। लेकिन इस बार के चुनाव में पार्षद पद के उम्मीदवारों ने जैसे पैसा बहाया है, उससे आम आदमी की पहुंच से चुनाव लड़ना दूर चला गया है। चुनाव आयोग को इसे रोकना चाहिए था। लेकिन जब लेने और देने वाला दोनों राजी हो और सिस्टम स्वत संज्ञान लेने में सुस्त हो तो फिर धनबल आने वाले दिनों में और ज्यादा बढ़ेगा।