मातृ सदन के ब्रह्मचारी : गंगा संरक्षण और पर्यावरण के लिए बलिदान देने वाले मातृ सदन आश्रम के ब्रह्मचारी सुधानंद अब वकील बन गए हैं। उन्होंने उत्तराखण्ड बार काउसिंल में अधिवक्ता के तौर पर औपचारित पंजीकरण करा लिया है। सुधानंद बहुत तेज तर्रार हैं और हिंदी व अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं पर उनकी मजबूत पकड़ हैं। यही नहीं उन्हें कानून का अच्छा ज्ञान है और वो बहुत ही सधे हुए तरीके से मुद्दों को उठाते भी रहे हैं।
मातृ सदन के ब्रह्मचारी
पिछले दिनों अफसरों को कर दिया था चुप
गंगा में रिवर ड्रेजिंग के नाम पर खनन की अनुमति देने के मामले में मातृ सदन के ब्रह्मचारी सुधानंद पिछले दिनों अफसरों से भिड़ गए थे, उनके तर्कों और कानूनी जानकारी का अफसरों के पास भी कोई जवाब नहीं था। बाद में मातृ सदन कोर्ट पहुंचा और वहां मातृ सदन की जीत हुई जिसके बाद बैरागी कैंप से रिवर ड्रेजिंग पर रोक लगा दी गई। इससे पहले भी मातृ सदन के ब्रह्मचारी दयानंद सरस्वती कोर्ट में अपने केस की पैरवी करते रहे हैं। मातृ सदन के सभी ब्रह्मचारी तालीमयाफ्ता हैं और आम जीवन यापन करते हैं।
मातृ सदन के ब्रह्मचारी

कौन कौन रहे उपस्थित
परम पूज्य श्री गुरुदेव जी के आशीर्वाद से उत्तराखंड बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में औपचारिक पंजीकरण प्राप्त होने के उपलक्ष्य में अधिवक्ता श्री अजय वीर पुंडीर जी द्वारा बैंड बांधा गया। यह अवसर समाज के प्रतिष्ठित जनों की उपस्थिति और आशीर्वाद में सम्पन्न हुआ, जिनमें दंडी स्वामी श्री दिवाकर चमोली जी, स्वामी श्री अखिलेश जी, श्री अशोक तिवारी जी (प्राचार्य, श्री पूर्णानंद तिवारी लॉ कॉलेज, हरिद्वार), अधिवक्ता श्री नरेन्द्र चौहान जी, डॉ. निरंजन मिश्र जी, डॉ. भोला झा जी, प्रो. श्वेतांग (श्री गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय) एवं समाज के अन्य सम्मानित व्यक्तित्व शामिल रहे।