विकास कुमार।
दीवाली पर हरिद्वार के बाजार गुलजार हो गए हैं और बाजरों में लोगों की भीड देखी जा सकती है। लेकिन बाजारों की भीड क्या खरीदारों में तब्दील हो पाई, क्या व्यापारियों के चेहरे खिल उठे या फिर महंगाई डायन ने दीवाली की रौनक फीकी कर दी, या फिर बेरोजगारी का बाजार पर बुरा असर रहा। इस बारे में हमने हरिद्वार के व्यापारियों से बात की और जानना चाहा कि आखिर दीवाली पर बाजार के क्या हाल है…
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जिनके पास पैसा है वो संयमित खर्च कर रहे हैं
उत्तरांचल पंजाबी महासभा के प्रदेश महामंत्री सुनील अरोड़ा बताते हैं कि बाजारों में भीड देखकर आपको लगेगा कि कारोबार अच्छा हो रहा है लेकिन व्यापार की हालत बहुत मंदी है। लोग सिर्फ बेहद जरुरत का सामान ही खरीद रहे हैं। दीवाली जैसे त्यौहार पर दिल खोलकर खर्च करना अब गुजरे जमाने की बात लगने लगी है। महंगाई इसका सबसे बडा कारण है। जबकि बेरोजगारी के कारण भी लोगों के पास पैसा नहीं है। जनता इस डर में है कि आगे क्या होगा। अनिश्चितता का यही माहौल बाजार के ठंडे होने का कारण है। ज्वालापुर के व्यापारी नेता संजय मेहता ने बताया कि लोग सिर्फ छोटे—मोटे सामान ही खरीद रहे हैं। बडे सामानों पर खर्च नहीं कर रहे हैं। दीवाली पर व्यापारियों की अच्छी सेल होती थी लेकिन इस बार सब ठंडा है। बेलगाम महंगाई इसका बडा कारण है। सच बात तो ये है कि अधिकतर लोगों के पास खरीदारी लायक पैसा नहीं है जिनके पास है वो सोच समझकर ही खर्च कर रहे हैं।
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बाजारों में भीड लेकिन खरीदार नहीं
वहीं वरिष्ठ व्यापारी नेता संजीव नैयर ने बताया कि महंगाई के कारण लोग फिजूल खर्ची से बच रहे हैं। आज बाजार में कैश नहीं है। जनता के साथ—साथ व्यापारी हताश हैं। सरकार ने भी व्यापारियों को कोई राहत नहीं दी है। इसके कारण लोग बाजार में र्सिफ जरुरत का सामान ही खरीदने आ रहे हैं।
व्यापारी नेता मृदुल कौशिक ने बताया कि बेरोजगारी के कारण फुटपाथ पर सामान बेचने वालों की संख्या में बढोतरी हुई है। दुकानों में बैठे कारोबारी खाली बैठे हैं। बाजारों में भीड है लेकिन खरीदार नहीं है। लोग शगुन के तौर पर सामान खरीद रहे हैं। लेकिन दिल खोलकर खरीदारी करने वाले नहीं है। सरकार को इस ओर सोचना चाहिए था लेकिन अभी तक महंगाई जैसे मुद्दों पर कुछ नहीं किया गया है।
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तीस सालों में सबसे फीकी दीवाली
जाने—माने व्यापारी और महाकाली एंटरप्राइजेज के मालिक योगेश वाधवा ने बताया कि बाजार में काम ना होने के कारण तीन कारण है कि पहला आनलाइन शॉपिंग, जिसके कारण छोटा दुकानदार पूरी तरह बरबाद होने की कगार पर है। दूसरा महंगाई और तीसरा बेरोजगारी। मैंने अपने तीस सालों के करियर में बाजार का ऐसा फीका हाल कभी नहीं देखा है। बाजार का हाल बेहद ही खराब है।
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