मंगलौर उपचुनाव में हुई हिंसा के बाद कांग्रेस ने चुनाव में बूथकैपचरिंग और भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में काम करने का आरोप सिस्टम पर लगाया है। कई वीडियो भी इस मामले में सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। लेकिन मंगलौर उपचुनाव में हुए घटनाक्रम से कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व विधायक काजी निजामुद्दीन को क्या फायदा मिल रहा है या फिर उन्हें इसका नुकसान हुआ है। और क्या भाजपा यहां इतिहास बनाने जा रही है। इस बारे में हमने वरिष्ठ पत्रकारों से बात की और उनकी राय जानी।
मंगलौर उपचुनाव
बढ़ गया काजी का कद
चुनाव पर पैनी नजर बना कर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार अवनीश प्रेमी ने बताया कि चुनाव के दौरान काजी निजामुद्दीन कई कारणों से जूझते हुए नजर आ रहे थे। लेकिन चुनाव के दिन लिब्बरहेडी की घटना के बाद वायरल हुए वीडियो ने काजी निजामुद्दीन को चुनावी और राजनीतिक दोनों तरह से बढ़त दिला दी। काजी निजामुद्दीन इस घटना के बाद एक लीडर के तौर पर उभर कर निकले और मतदान के आखिरी तक वो डटे रहे।
कस्बे में उनको कुछ फायदा भी मिला। हालांकि परिणाम चाहे जो रहे लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि काजी निजामुद्दीन को इस चुनाव ने जबदरस्त सहानुभूति दिलाई है। जहां तक हिंसा और अन्य आरोपों की बात है तो कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जो चिंता की बात है।
भाजपा को चुनाव में बढ़त लेकिन काजी को राजनीतिक फायदा
वरिष्ठ पत्रकार आदेश त्यागी बताते हैं कि निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र के लिए अतिआवश्यक हैं लेकिन मंगलौर उपचुनाव में जो भी हुआ और जो वीडियो सामने आ रहे हैं। उससे ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है कि मंगलौर में सबकुछ ठीक हुआ है।
ये बात सही है कि उपचुनाव में सत्तासीन दल को फायदा मिलता है लेकिन भाजपा प्रत्याशी और उनके रणनीतिकारों ने इसका भरपूर लाभ उठाया और जिसके चलते भाजपा को बढ़त आप कह सकते हैं। लेकिन ये भी सच है कि ऐसी बढ़त दीर्घकालिक नहीं होती है। जहां तक काजी निजामुद्दीन की बात तो वो अपने समर्थकों और वोटरों के लिए हर जगह डटे रहे जो ये साबित करता है कि वो एक अच्छे लीडर हैं। चुनाव परिणाम जो भी हो लेकिन काजी निजामुद्दीन का कद जरुर बढ़ा है।
क्या इतिहास बना सकती है भाजपा
हालांकि मंगलौर उपचुनाव कौन जीतेगा इस पर लोगों की राय बंटी हुई है। कुछ लोग भाजपा प्रत्याशी को अव्वल बता रहे हैं तो कुछ काजी निजामुद्दीन को अभी भी बढ़त दे रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार आरिफ नियाजी बताते हैं चुनाव में इस तरह के हालात कभी नहीं देखे। हालांकि काजी निजामुद्दीन को मंगलौर उपचुनाव में हुई हिंसा और जबरदस्ती का राजनीतिक लाभ जरुर मिलेगा। चुनाव की बात करें तो काजी निजामुद्दीन के रोने का वीडियो वायरल होने के बाद काजी निजामुद्दीन को फायदा मिला है और कस्बे में वोटर अपने नेता के लिए घरों से निकले हैं।
दलित वोटर तय करेंगे जीत हार
वहीं चुनाव में भाजपा के लिए धुव्रीकरण और कांग्रेस के प्रभाव वाले इलाकों में दिक्कतों पैदा होने से समीकरण बिगड़ गए हैं। भाजपा को यहां बढ़त मिली है, इसमें कोई दो राय नहीं है। लेकिन अब यहां जीत हार इस बात ये तय होगी कि दलित वोटरों ने किसे वोट किया है। दलित समाज के वोटरों ने यदि लोकसभा चुनाव की तर्ज पर कांग्रेस के पक्ष में वोट किया होगा तो इतना सब कुछ होने के बाद भी काजी निजामुद्दीन सीट निकाल सकते हैं।
Average Rating