रतनमणी डोभाल।
हरिद्वार नगर विधायक और पूर्व मंत्री मदन कौशिक इन दिनों हरिद्वार लोकसभा क्षेत्रों के गांवों में सक्रिय हैं और यहां कार्यकर्ताओं से जनसंपर्क कर रहे हैं। हालांकि, हरिद्वार पंचायत चुनाव से दूरी बनाने वाले मदन कौशिक के अचानक सक्रिय होने को उनके लोकसभा चुनाव लडने की संभावनाओं के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि, उन्होंने पहले भी लोकसभा के लिए प्रयास किए थे लेकिन उनके करीबी लोगों का कहना है कि इस बार मदन कौशिक इसे गंभीरता से ले रहे हैं। वहीं वर्तमान में रमेश पोखरियाल हरिद्वार से सांसद हैं और वो भी सक्रिय हैं तो सवाल उठता है कि क्या निशंक को टिकट नहीं मिलेगा या फिर मदन कौशिक इस बार भी मायूसी हाथ लगेगी। इस बारे में हमने वरिष्ठ पत्रकारों से बात की।

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मदन कौशिक अकेले नहीं है कई दूसरे में भी कर रहे दावेदारी
वरिष्ठ पत्रकार अवनीश प्रेमी ने बताया कि मदन कौशिक के हाल ही के कार्यक्रमों पर नजर डाले तो वो नए जोश से मैदान में हैं। लोकसभा क्षेत्र में भ्रमण का वो कोई और कारण भी बता सकते हैं। लेकिन फिलहाल तो इसे उनकी तैयारी के तौर पर ही देखा जा रहा है। हालांकि मदन कौशिक इसमें अकेले नहीं हैं। डा. निशंक भी पंचायत चुनाव से सक्रिय हैं और पूर्व मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद के पास भी संभावनाएं हैं, क्योंकि वो विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। इसके अलावा कई दूसरे चेहरे भी हैं जो हरिद्वार लोकसभा के लिए आस्तीनें चढाए बैठे हैं। लेकिन इन सबके बीच सबसे बडा सवाल ये है कि क्या भाजपा वर्तमान सांसद डा. निशंक का टिकट बदलेगी। ये बात सही है कि भाजपा इस बार कई वर्तमान सांसदों के टिकट बदल सकती है। इसमें उत्तराखण्ड की भी कई सीटों पर मंथन हो रहा है। लेकिन निशंक पूर्व सीएम हैं और बडे नेता हैं ऐसे में उनका टिकट काटना इतना भी आसान नहीं होगा। ये अलग बात है कि उन्हें कहीं ओर एडजस्ट किया जाए। क्योंकि शिक्षा मंत्री के पद से हटाए जाने के बाद उनके लिए राहें बहुत ज्यादा आसान नहीं दिख रही है।

वरिष्ठ पत्रकार आदेश त्यागी बताते हैं कि डा. निशंक के कार्यकाल को हरिद्वार के वोटर बहुत गर्मजोशी से नहीं देखते हैं। पंचायत चुनाव में वो सक्रिय जरुर नजर आए लेकिन बाकी दौर में वोटर उनकी बाट ही जोहते रहे। हालांकि डा. निशंक बडे और सुलझे हुए नेता है। जहां तक मदन कौशिक, स्वामी यतीश्वरानंद या अन्यों का सवाल है तो मदन कौशिक लोकसभा के लिए ज्यादा प्रयास कर सकते हैं। इसके पीछे साफ कारण ये है कि उत्तराखण्ड में वो जितना पा सकते थे उन्होंने पा लिया। सीएम वो बन नहीं सकते लिहाजा उन्होंने खुद अब दिल्ली जाने का निर्णय लिया है। इसके लिए वो प्रयास भी कर रहे हैं। बाकी भाजपा निशंक का टिकट काटती है तो पार्टी को उनको एडजस्ट तो करना ही पडेगा या फिर मदन कौशिक का दिल्ली जाने का सपना सिर्फ सपना ही रह सकता है।

