hindu and muslim woman exchanged their kideys for transplant for their husbands

आप हिंदू—मुस्लिम करते रहिए यहां सुषमा और सुल्ताना खान ने मिसाल कायम कर दी


विकास कुमार।
दिन भर चैनलों से लेकर सोशल मीडिया और नाके—चौराहों पर हिंदू—मुस्लिम की बहस छिडी रहती है लेकिन इस बहस से दूर ऐसे अनगिनत मामले हैं जब हिंदू—मुस्लिम एक दूसरे के काम आत हैं। ऐसा ही एक किस्सा हिमालयन अस्पताल देहरादून में सामने आया है जहां सुषमा और सुल्ताना खान नाम की दो महिलाओं ने एक दूसरे के पतियों को किडनी देकर उनकी जान बचाई।

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क्या है मामला
सुषमा और सुल्ताना खातून ने अपने पति के प्राणों पर आए संकट को दूर करने के अपनी एक-एक किडनी एक-दूसरे के पतियों को दी। हिमालयन हास्पिटल जौलीग्रांट में सफल स्वैप ट्रांसप्लांट कर अशरफ अली व विकास उनियाल को एक नया जीवन दिया गया। चारो पति-पत्नी अब पूरी तरह स्वस्थ है।
डोईवाला निवासी अशरफ अली (51) दोनों किडनी खराब होने के चलते पिछले 2 साल से हेमोडायलिसिस पर थे और किडनी टांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प था। उनकी पत्नी सुल्ताना खातून अपनी एक किडनी देने के लिए तैयार थी लेकिन ब्लड ग्रुप मैच न होने से यह संभव नहीं था। इसके अलावा परिवार में समान ब्लड ग्रुप वाला कोई करीबी रिश्तेदार भी नहीं था।
इसी बीमारी से पीड़ित एक अन्य मरीज कोटद्वार निवासी विकास उनियाल (50) की भी दोनों किडनी खराब हो चुकी थी वह भी पिछले दो साल से हेमोडायलिसिस पर थे। विकास की पत्नी सुषमा का ब्लड ग्रुप मैच नहीं होने के चलते वह अपनी किडनी नहीं दे सकती थी। यह दोनों परिवार एक ऐसे डोनर की तलाश कर रहे थे। जिसका ब्लड ग्रुप मैच हो सके। बार-बार हेमोडायलिसिस की प्रक्रिया इनकी ताकत पर भी भारी पड़ रही थी लेकिन लड़ने की अदम्य इच्छाशक्ति ने इन्हें आगे बढ़ाया।
हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट के इंटरवेंशनल नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. शहबाज अहमद ने बताया कि किडनी डोनर के लिए प्रयासरत दोनों परिवारों को एक दूसरे से मिलाया गया। इस बीच जांच कराने पर पता चला कि सुषमा का अशरफ से जबकि सुल्ताना का विकास से ब्लड ग्रुप मैच हो रहा है। दोनों परिवारों को तुरंत ही उम्मीद की किरण नजर आई। उस पल में उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ा कि दूसरा व्यक्ति कहां से आया है वह हिन्दु है या मुसलमान। सुषमा और सुल्ताना दोनों एक दूसरे के पति को किडनी देने के लिए तैयार हो गयी। इसके बाद इस स्वैप ट्रांसप्लांट को करने के लिए यूरोलॉजी व नेफ्रोलॉजी की एक संयुक्त टीम बनायी गयी। वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट व किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. किम जे मामिन ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट के लिए उत्तराखंड राज्य प्राधिकरण समिति से अनुमति ली गयी। सर्जरी के दौरान दो अलग-अलग ऑपरेटिंग कमरों में सुल्ताना और सुषमा पर अलग-अलग डोनर नेफरेक्टोमी (किडनी निकालने की प्रक्रिया) की गई और उनकी किडनी को क्रमशः विकास उनियाल और अशरफ अली में ट्रांसप्लांट किया गया। इस लंबे और जटिल ऑपरेशन के अंत में विकास को सुल्ताना की किडनी और अशरफ को सुषमा की किडनी ट्रांसप्लांट की गयी। इस सफल स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट के बाद दोनो किडनी सामान्य रूप से काम कर रही हैं। दोनों ही परिवार अत्यधिक खुश है।

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क्या होता है किडनी का काम
हिमालयन हॉस्पिटल के वरिष्ठ यूरोलाजिस्ट डॉ. मनोज विश्वास ने बताया कि गुर्दे हमारे शरीर के मास्टर केमिस्ट और होम्टोस्टेटिक अंग होते है। शरीर में रक्त साफ करने की प्रक्रिया के साथ पानी की मात्रा संतुलित करना, रक्तचाप, मधुमेह को नियंत्रित करना, शरीर से अवशिष्ट विषैले पदार्थों को मूत्र द्वारा बाहर करना तथा आवश्यक पदार्थ विटामिन, मिनिरल कैल्शियम पोटेशियम, सोडियम इत्यादि वापस शरीर में पहुंचकर इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित करना इसका कार्य है।

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कुलपति व चिकित्सा अधीक्षक ने टीम को दी बधाई
सर्जरी को सफल बनाने में वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ. किम जे, ममिन, वरिष्ठ इंटरवेंशनल नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. शहबाज अहमद, एनिस्थिसिया विभागाध्यक्ष डॉ. वीना अस्थाना सहित डॉ.राजीव सरपाल, डॉ. शिखर अग्रवाल, डॉ. विकास चंदेल का योगदान रहा। कुलपति डॉ विजय धस्माना व चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसएल जेठानी ने किडनी के सफल ट्रांसप्लांट के लिए डॉक्टरों की टीम को बधाई दी।

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