Harish Rawat News क्या हरीश रावत ने सत्ता में रहते हुए ऐसे लोगों को बढ़ावा दिया जो भ्रष्टाचार कर रहे थे। क्या ऐसे दागियों को आगे किया जो अफसरों से उनके प्रमोशन की सुपारी ले रहे थे। क्या ऐसे संतों को चुनाव लड़वाया जो धार्मिक संपत्तियों को खुर्दबुर्द करना चाहते थे। ये हम नही कह रहे हैं खुद हरीश रावत ने पोस्ट कर दावा किया है कि जो लोग उन्हें छोड कर चले गए हैं वो क्या चाहते थे और मेरे सत्ता में रहते हुए क्या गुल खिला रहे थे।
लेकिन सवाल यहां ये है कि जब हरीश रावत को ये पता लग गया था कि अफसर के प्रमोशन की सुपारी ली जा चुकी है तो उन्होंने उस नेता के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की और क्यों उस अफसर पर घूस देने के मामले में एक्शन नहीं लिया गया। क्यों ऐसे नेताओं को हरीश रावत पालते रहे। अब जबकि वो एन वक्त पर भाजपा में शामिल हो गए हैं तो हरीश रावत की पुरानी यादें ताजा हो गई है।
क्या हरीश रावत पर होगा एक्शन
वही अब सवाल ये भी है कि क्या हरीश रावत पर एक्शन लिया जाएगा। क्या उस अफसर की भी जांच होगी जिसने अमुक नेता को एसडीएम से एडीएम बनने के लिए सुपारी दी थी। वरिष्ठ पत्रकार अवनीश प्रेमी बताते हैं कि इसमे कोई दो राय नहीं कि हरीश रावत ने सत्ता में रहते हुए जनाधारहीन लोगों को आगे बढाया और उन्होंने जो खेल हो सकता था वो किया। अब हरीश रावत खुलासा कर रहे हैं लेकिन सवाल ये है कि तब क्यों एक्शन नहीं लिया। मामला चूंकि एक अफसर से जुडा है तो इस मामले में जांच होनी चाहिए और एक्शन भी लिया जाना चाहिए। Harish Rawat News
क्या लिखा हरीश रावत ने Harish Rawat News
पूर्व सीएम हरीश रावत ने फेसबुक पोस्ट कर दावा किया है कि जो लोग उन्हें छोड़कर भाजपा में गए हैं क्योंकि वो इसलिए नाराज थे कि मेरे कार्यकाल में एक एसडीएम को एडीएम बनाने की सुपारी ले चुके थे। उन्होंने संत का नाम लिये बगैर आरोप लगाया कि वो इसलिए नाराज हैं कि स्वर्ग आश्रम ऋषिकेश की कुछ संपत्तियों को उनके संगठन के नाम पर करने से इनकार कर दी थी।
पूरी पोस्ट ये है Harish Rawat News
बिन कहे रहा न जाए, मीडिया कुरेद-कुरेद कर पूछ रहा है कि आपके कई करीबी हैं जिनको सारी नियामतें उनके गले में हार बनाकर डाल दी, वह भी क्यों साथ छोड़ रहे हैं? मैंने कहा हर किसी के नाराजगी के कुछ न कुछ कारण होते हैं। कुछ लोग इसलिये नाराज हैं, वह मेरे कार्यकाल में एक एसडीएम को एडीएम बनाने की सुपारी ले चुके थे।
एक पूज्यनीय इसलिये नाराज हैं, स्वर्ग आश्रम ऋषिकेश की कुछ संपत्तियों को मैंने उनके संगठन के नाम पर करने से इनकार कर दिया, एकाध-दो सज्जन ऐसे भी हैं कि उनको देते-देते अंत में जब मेरे पास भी देने के लिए कुछ नहीं रह गया तो वह बड़े दाताओं के पास पहुंच गए हैं। देखते हैं वहां क्या मिलता है? हमारी शुभकामनाएं हैं यहां से कुछ ज्यादा उनको मिले और जहां गये हैं वहां वफादार रहें।
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