विकास कुमार/बिंदिया गोस्वामी।
नशा, भ्रष्टाचार और बीस साल कई सवाल के मुद्दों पर घिरे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने अपनी विधानसभा हरिद्वार शहर में शुक्रवार को वरिष्ठ जन सम्मान समारोह आयोजित किया जिसमें बडी संख्या में लोग जमा हुए। इन लोगों में अधिकतर भीड बस्तियों से थी, जो मदन कौशिक के लिए हर चुनाव में बडा वोट बैंक साबित होते हैं। सवाल ये कि क्या मदन कौशिक का अभी भी जलवा कायम हैं या फिर अपनी ताकत का मुजायरा करने के लिए मदन कौशिक ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए हर पैंतरा अपनाया। क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार हमने जानने का प्रयास किया…
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वरिष्ठ पत्रकार और प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष राजेश शर्मा कहते हैं कि आज के कार्यक्रम ने यह साबित किया है कि मदन कौशिक ने हरिद्वार के सामान्य जनमानस उन्हें सम्मान देते हुए अपनी जननायक की छवि बनाई है। यही उनकी राजनीतिक ताकत हैं और जो लोग मदन कौशिक को चुनौती दे रहे हैं, उनके प्रयास तो सराहनीय हो सकते हैं, लेकिन उन्हें अभी बडी मेहनत करनी पडेगी। सवाल ये कि क्या मदन कौशिक के जादू को खत्म किया जा सकता है। तो इसका उत्तर हैं हां लेकिन ये सामने वाले की काबलियत और चुनाव में बेहतर रणनीति पर निर्भर करेगा।
वरिष्ठ पत्रकार रतनमणी डोभाल बततो हैं कि जहां तक भीड का सवाल है मदन कौशिक पर जेपी नड्डा की संकल्प यात्रा रैली फीकी होने के बाद भारी दबाव था और इस कार्यक्रम के जरिए उन्होंने इस दबाव को कम करने का प्रयास किया है और पार्टी के अंदर और विपक्षी कांग्रेस को ये संदेश देने में कामयाब रहे कि अब पिक्चर बाकी है। इसमें कोई दो राय नहीं कि मदन कौशिक बस्तियों में अपनी पकड के जरिए बेहद मजबूत हैं। अब चाहे कारण बस्तियों को नियमतीकरण का शिगूफा हो या फिर दूसरे कारण, लेकिन मदन कौशिक इसका भरपूर फायदा उठा रहे हैं। इसमें भी कोई शक नहीं कि पहली बार मदन कौशिक को उनकी पार्टी में ही चुनौती मिल रही है और हरिद्वार सहित बस्तियों में नशा, बेरोजगारी के कारण उनका वोट बैंक भी छिटक रहा है। ये चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार पर निर्भर करेगा कि इन मुद्दों को लेकर वो मदन कौशिक के खिलाफ कैसे इस्तेमाल करेंगे। निजीकरण से आरक्षण खत्म होने, बेरोजगारी और नशे के सवालों पर मदन कौशिक अक्सर बचते रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार आदेश त्यागी बताते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं कि मदन कौशिक का हरिद्वार शहर में अपना जनाधार है और संत बाहुल्य होने के कारण भाजपा के लिए ये सीट ए कैटेगरी की है। लेकिन, मंत्री पद से हटने के बाद मदन कौशिक लगातार कमजोर भी हो रहे हैं। पूर्व मेयर मनोज गर्ग और युवा नेता कन्हैया खेवडिया उन्हें चुनौती दे रहे हैं। कार्यक्रम को सफल कह सकते हैं लेकिन उसके पीछे के कारणों को भी देखना होगा। क्या कांग्रेस इन मुद्दों को उठा पाने में सक्षम है। ये भी बडा सवाल है। कांग्रेस को आक्रामक रणनीति के साथ आगे बढने की जरुरत है ताकि कांग्रेस मदन कौशिक को अपने मुद्दों पर घेर सके।
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