बिंदिया गोस्वामी/विकास कुमार।
ज्वालापुर विधानसभा कुछ दिन पहले तक भाजपा के लिए सी ग्रेड की सीट साबित हो रही थी और यहां के मौजूदा विधायक सुरेश राठौर पर भाजपा नेत्री से रेप के संगीन आरोपों के बाद प्रत्याशी बदलने की चर्चा हो रही थी। लेकिन, कांग्रेस के टिकट बंटवारे और बागी नेताओं के आजाद समाज पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवारों के तौर पर मैदान में आने के बाद ज्वालापुर सीट की जंग बेहद दिलचस्प हो गई है।
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आसपा और निर्दलीयों ने बिगाडा कांग्रेस का गणित
कांग्रेस ने पहले इस सीट से बरखा रानी को टिकट दिया और फिर बाद में रवि बहादुर को टिकट दे दिया। रवि बहादुर के टिकट होने से सीनियर एसपी सिंह इंजीनियर ने आजाद समाज पार्टी से मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया। वहीं कांग्रेस में शामिल हुई बृजरानी ने भी कांग्रेस को चंद घंटों में अलविदा कहकर निर्दलीय मैदान में उतर गई। वहीं पूर्व वन अफसर सनातन सोनकर भी कांग्रेस से पल्ला झाड समाजवादी पार्टी से मैदान में उतर गए हैं। वहीं आप की ममता सिंह व अन्य भी मैदान में हैं। वहीं भाजपा के सुरेश राठौर अपने परंपरागत वोट बैंक के साथ जमे हुए हैं। हालांकि उनके खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी ज्यादा है और फिलहाल कौन इसको भुना पाता है ये नए उपजे समीकरणों पर निर्भर करता है। आजाद समाज पार्टी के एसपी सिंह इंजीनियर भी अपने दलित—मुस्लिम और अन्य के गठजोड के आधार पर आगे बढ रहे हैं। एसपी सिंह इंजीनियर का दावा है कि खुद आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद उनके लिए प्रचार करने आ रहे हैं। ऐसे में दलितों के वोट का विभाजन कई जगह होता दिख रहा है। वहीं समाजवादी पार्टी के सनातन सोनकर भी अपने मुद्दों के साथ लोगों को भा रहे हैं। उन्होंने वन अफसर रहते हुए क्षेत्र के लोगों से सीधा संवाद किया जिसके बलबूते वो मैदान में हैं। वहीं आप व अन्य निर्दलीय व बसपा भी अपने—अपने मुद्दो को लेकर चुनाव मैदान में हैं।
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