BHEL trade union leader Rajbir Singh

दावेदारी: रानीपुर पर श्रमिक नेता राजबीर सिंह का बीएचईएल में ही विरोध, क्या बोले श्रमिक


विकास कुमार।

बीएचएल रानीपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों में से प्रमुख दावेदार राजवीर सिंह का बीएचईएल में ही विरोध सामने आ रहा है। राजवीर सिंह Bhel कर्मचारी हैं और श्रमिक हितों की राजनीति करते हैं। उनकी यूनियन बीएचएल में नंबर वन की यूनियन है। बावजूद उसके हरिद्वार के श्रमिक उनसे खासे नाराज दिख रहे हैं। राजबीर सिंह चौहान हरीश रावत के करीबी है और रानीपुर विधानसभा से कांग्रेस के सबसे मजबूत दावेदार हैं।
बीएचईएल के श्रमिकों के मुताबिक राजवीर सिंह के कारण बीएचएल में ट्रेड यूनियन पॉलिटिक्स पूरी तरह खत्म हो गई। राजवीर सिंह श्रमिक हितों से ज्यादा प्रबंधन के पक्ष में खडें नजर आते हैं। ऐसे में अगर राजवीर सिंह को कांग्रेस टिकट दिया जाता है तो उनको बीएचएल में ही भारी विरोध का सामना करना पड़ सकता है। श्रमिक नेता विकास सिंह ने बताया की राजवीर सिंह की एक श्रमिक नेता के तौर पर बीएचएल में छवि अच्छी नहीं है। उन्हें बीएचएल में मजदूर हितों के विरोध में काम करने वाला माना जाता है। क्योंकि वह हमेशा प्रबंधन के पक्ष में खड़े रहते हैं। पिछले 15 सालों से राजवीर सिंह की यूनियन मान्यता में चली आ रही है। बावजूद इसके श्रमिकों का उत्पीड़न हो रहा है। श्रमिकों को दी जाने वाली कई सुविधाएं बंद कर दी गई। लेकिन राजवीर सिंह प्रबंधन से के सामने श्रमिकों का पक्ष रखने में बिल्कुल भी कामयाब नहीं हो पाए हैं।
श्रमिक यूनियन के नेता केडी गुसांई ने बताया कि राजवीर सिंह के कारण Bhel के श्रमिकों को भारी नुकसान हुआ है। राजवीर सिंह सिर्फ श्रमिक राजनीति के नाम पर अपना फायदा देखते हैं। उनकी प्रबंधन के पक्ष में रहने की रणनीति के कारण बीएचएल के श्रमिकों को बहुत ज्यादा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। उनकी छवि बीएचईएल श्रमिक नेता के तौर पर बहुत खराब है। हालांकि वह धनबल और दूसरे तरीकों से बीएचएल श्रमिक यूनियन के चुनाव में अव्वल आने में कामयाब हो जाते हैं। लेकिन कुल मिलाकर श्रमिक उनका विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस राजवीर सिंह को अपना उम्मीदवार बनाती है तो बीएचएल में भारी विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
वही एक श्रमिक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हर बीएचएल करने के लिए गर्व की बात होगी उनके बीच से कोई विधायक बने। लेकिन जहां तक राजवीर सिंह की बात है एक श्रमिक नेता के तौर पर उन्होंने हमेशा श्रमिकों को निराश किया। वह भेल प्रबंधन के सामने श्रमिकों की समस्याएं नहीं उठा पाए। भेल ही नही सिडकुल सहित अन्य जगह मजदूरों के शोषण को लेकर भी उन्होंने हमेशा चुप्पी साधे रखी। ऐसे में अगर वो चुनाव लड़ते हैं तो श्रमिकों में बहुत ज्यादा उत्साह नही होगा।

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क्या बोले राजबीर सिंह
श्रमिक नेता राजबीर सिंह ने कहा कि उनहोंने स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर बीएचईएल श्रमिकों की समस्या को उठाया और निजीकरण के​ खिलाफ आवाज बुलंद की। सभी यूनियनों के साथ मिलकर लडाई लडी, जिसके कारण बीएचईएल का निजीकरण को टाला गया। उनहोंने कहा कि कुछ साथियों को गलतफहमी होगी, जिसे दूर कर लिया जाएगा। लेकिन, ये सच हैं कि मैंने यूनियन राजनीति से उपर उठकर हर श्रमिक की मदद की है। जहां तक सवाल है सुविधा और भत्तों में कटौती होने का तो ये केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण हुआ है। आने वाले समय में जब हालात सामान्य होंगे तो पहली की तरह ही सुविधाएं मिलना शुरु हो जाएंगी।

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