हरीश कुमार।
पब्लिक सेक्टर की महारत्न कंपनी बीएचईएल हरिद्वार प्लांट ने अपने 16 होनहार इंजीनियर और कर्मचारियों को कोरोना संक्रमण के चलते खोया है। सबसे ज्यादा मौतें कोरोना की दूसरी लहर में हुई है। वही अब इन परिवारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। उधर बीएचईएल कॉर्पोरेट रूल के अनुसार मृतक भेल कर्मियों के आश्रितों को अगले 4 महीनों मे सरकारी आवास भी खाली करना होगा। असमय हुई मौत के बाद परिवार के सामने जहां खुद को इस विपरीत समय में खड़ा करने की चुनौती होगी। वही बच्चों के भविष्य को संभालना और एक अदद आशियाना तलाशने की जिम्मेदारी भी इन भेल मृतकों के आश्रितों पर आ गई है। वही भेल कर्मचारी यूनियन की ओर से मांग की गई है कि कोरोना से मरने वाले भेल के इंजीनियर सुपरवाइजर और कर्मचारियों को कम से कम उनके बच्चे पढ़ जाने लायक तक उनसे आवास खाली न कराया जाए। ताकि उनको कम से कम एक आशियाना रहने के लिए मिल सके। क्योंकि असमय मौत के बाद ना तो भेल कर्मचारियों को उनके आश्रितों को नौकरी मिल पाएगी और ना ही इतना पैसा मिलता है कि वह अपना एक मकान रहने के लिए खरीद सके।
ऐसे में या तो उनको किराए के मकान में जाना होगा या फिर अपने पुश्तैनी मकान में, दोनों ही सूरत में परिवार के बिखरने की चांस ज्यादा है। भेल श्रमिक नेता रामकुमार ने बताया की इस बार बीएचएल ने अपने 16 होनहार इंजीनियरों सुपरवाइजर और कर्मचारियों को कोरोना संक्रमण के चलते खोया है। जिन कर्मचारियों की मौत हुई है उनमें से अधिकतर 40 से 50 आयु वर्ग के हैं। जिनके बच्चे अभी या तो स्कूलिंग कर रहे हैं या फिर हायर एजुकेशन की तरफ पहला कदम बढ़ा रहे हैं।
ऐसे में मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को आवास से बेदखल करने वाले नियम से बहुत बड़ा धक्का लगेगा और इससे परिवार पूरी तरह बिखर जाएगा। क्योंकि मृतक आश्रितों को मेडिकल मृत्यु पर बहुत ज्यादा पैसा की नहीं मिलता है। ऐसे में इन परिवारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। हमने भेल प्रबंधन से मांग की है कि मेडिकल के कारण होने वाली असमय मौत के चलते भील परिवारों के आश्रितों को आवास से बेदखल ना किया जाए। और उनकी बाकी बची ड्यूटी के अनुसार ही रिटायरमेंट होने तक उन्हें सरकारी आवास में रहने की अनुमति दी जाए। ताकि वह अपने बच्चों की अच्छे से परवरिश कर सके और उनको पढ़ा लिखा सके।
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