चंद्रशेखर जोशी।
महारत्न कंपनी बीएचईएल ने अपने स्कूलों को निजी हाथों में सौंपना शुरूकर दिया है। जहां एक ओर बीएचईएल स्कूलों को बंद कर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी से पीछे हट गई, वहीं दूसरी ओर अब कंपनी अपनी संपत्तियों को निजी हाथों में देकर खाली खजाना भरने का प्रयास कर रही है। इसी क्रम में बीएचईएल हरिद्वार ने अपना सेक्टर वन स्थित विद्या मंदिर इंटर कॉलेज स्कूल हरिद्वार की एक प्राइवेट संस्था को तीस सालों के लिए किराए पर दे दिया है। हर महीने बीएचईएल इस संस्था से चाढे चार लाख रुपए वसूलेगा। जबकि ये संस्था इस स्कूल की इमारत में प्राइवेट स्कूल चलाकर मोटा मुनाफा कमाएगी।
बीएचईएल के इस कारनामे से साफ है कि जल्द ही दूसरे स्कूलों को भी निजी हाथों में सौंपा जा सकता है। वहीं श्रमिक लगातार भेल के निजीकरण का विरोध तो कर रहे हैं लेकिन स्कूलों को निजी हाथों में देने का किसी ने कोई विरोध नहीं किया। यही नहीं भेल के शिक्षक भी सिर्फ अपना एरियर और सातवां वेतन मान लागू करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन कोई भी स्कूलों को बंद करने के खिलाफ नहीं बोला और ना ही अब निजी हाथों में दिए जाने पर किसी ने चुप्पी तोडी है।
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इस संस्था ने लिया हैं स्कूल
सेक्टर वन स्थित विद्या मंदिर सकूल जिस संस्था ने लिया है उसका नाम शिवालिक एजुकेशन सोसायटी है। ये स्कूल तीस सालों के लिए लीज पर दिया गया है। जबकि हर माह का किराया करीब चार लाख 56 हजार रुपए देना होगा। ये सोसायटी कनखल में शिव डेल स्कूल चलाने वाले शरद पुरी महाराज की है। लिहाजा जल्द ही सेक्टर विद्या मंदिर की जगह शिवडेल पब्लिक स्कूल की दूसरी ब्रांच यहां खुलने वाली है। महंत शरदपुरी महाराज ने बताया कि इसी सत्र से स्कूल में एडमिशन शुरू हो जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक स्कूल में दो हजार बच्चों को पढाए जाने की व्यवस्था होगी और प्रत्येक बच्चे की फीस निम्न तौर पर ढाई हजार से शुरू होगी। जो सुविधाओं के साथ—साथ बढती जाएगी। हालांकि इसमें बीएचईएल के बच्चों के लिए बीस प्रतिशत की छूट भी होगी।
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श्रमिकों ने किया विरोध
भेल कल्याण मजदूर परिषद के अध्यक्ष राजबी सिंह चौहान ने बताया कि भेल अपनी सामाजिक जिम्मेदारी से पीछे हट रहा है। हमें बताया जा रहा है कि बीएचईएल के पास अब पैसा नहीं है। ऐसे में ये भी डर बना हुआ है कि बीएचईएल का जल्द केंद्र सरकार निजीकरण कर सकती है। ये मजदूर हितों के खिलाफ होगा। उन्होंने बताया कि बीएचईएल ने स्कूल शरद पुरी महाराज को दिया है। लेकिन, यहां की फीस बहुत ज्यादा होगी। इसका असर आम लोगों के साथ—साथ भेल श्रमिकों पर भी पडेगा। अगर फीस बहुत ज्यादा हुई तो इस स्कूल को किसी भी कीमत पर चलने नहीं दिया जाएगा।