ब्यूरो।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सोमवार को आयोजित बैठक में नागरिकों को सुविधाजनक रूप से सेवायें उपलब्ध कराये जाने हेतु ‘’अपणि सरकार’’ ऑनलाईन सर्विस पोर्टल को विकसित किये जाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार अधिनियम, 2011 के अंतर्गत अधिसूचित सेवाओं सहित लगभग 250 सेवाओं को इस पोर्टल के अंतर्गत लाया जाना है, जिस हेतु राज्य सरकार ने दिनांक 30.09.2020 को शासनादेश जारी कर विभागाध्यक्षों को नोडल ऑफिसर घोषित करते हुए उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार आयोग को विभागाध्यक्षों के साथ बैठक करने हेतु अधिकृत किया है। पोर्टल का विकास ITDA के तत्वाधान में NIC द्वारा किया जाना है।
राज्य सरकार द्वारा जनहित के उक्त महत्वपूर्ण निर्णय के क्रम में श्री एस रामास्वामी, मुख्य आयुक्त की अध्यक्षता में विभिन्न विभागों के साथ अपणि सरकार एवं सेवा के अधिकार के संबंध में बैठकें की जा रही है।
राजस्व विभाग के साथ बैठक
राजस्व विभाग के साथ बैठक में ITDA एवं NIC सहित गढ़वाल मण्डल के देहरादून जनपद के अधिकारी व्यक्तिगत रूप से तथा कुमाँऊ मण्डल के नैनीताल जनपद के अधिकारी वीडियो काँफ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित हुए। बैठक के दौरान सेवाओं के वर्कफ्लो, आवेदन-प्रारूपों, अतिरिक्त सेवाओं को जोड़े जाने आदि के संबंध में चर्चा हुयी।
आयोग ने पाया कि सामान्य जाति प्रमाण-पत्र की सेवा के संबंध में शासनादेश का अभाव है। हैसियत प्रमाण-पत्र की सेवा में भवनों के आंकलन के संबंध में प्रक्रियात्मक सुधार आवश्यक है तथा राजस्व मैनुअल्स के अनुसार प्रत्येक 06 वर्ष में नयी खतौनी तैयार की जानी प्राविधानित है परंतु यह कार्य दृढतापूर्वक नहीं किया जा रहा है। अतः इन विषयों पर आयोग ने राज्य सरकार को सुविचारित शासनादेश जारी करने हेतु अपनी संस्तुति प्रेषित कर दी है। बैठक के दौरान 05 नयी सेवाओं को अधिसूचित किये जाने हेतु चिन्हित किया गया। पोर्टल पर कतिपय विशेष प्राविधान यथा फोटो सहित अथवा फोटो रहित प्रमाण-पत्र प्राप्त करने की सुविधा तथा पूर्व में जारी किसी प्रमाण-पत्र के गुम होने/नष्ट होने/अपठनीय/खराब हो जाने की दशा में नागरिकों को द्वितीय प्रति प्रिंट करने की सुविधा देने हेतु ITDA एवं NIC को निर्देशित किया गया। बैठक का कार्यवृत्त मुख्य आयुक्त के अनुमोदनोपरांत संबंधितों को कार्यवाही हेतु जारी किया जा चुका है।
गृह विभाग के साथ बैठक
गृह विभाग के साथ बैठक में पुलिस अधीक्षक सहित थाना स्तर तक के कार्मिक उपस्थित रहे। जिला प्रशासन, देहरादून का प्रतिनिधित्व अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं प्रशासन) द्वारा किया गया। पुलिस विभाग की 10 अधिसूचित सेवाएं वर्तमान में केंद्रीयकृत ऑनलाईन App (देवभूमि) द्वारा तथा कतिपय सेवाएं अपराध एवं अपराधी ट्रेकिंग नेटवर्क ( CCTNS ) के माध्यम से नागरिकों को ऑनलाईन प्रदान की जा रही हैं। चूँकि गृह मंत्रालय ( MHA) द्वारा संचालित CCTNS तथा केंद्रीयकृत ऑनलाईन App NIC द्वारा निर्मित हैं, अतः इनके ‘‘अपणि सरकार’’ पोर्टल से इंटीग्रेशन तथा डेटाफ्लो सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक कार्यवाही के संबंध में NIC को निर्देशित किया गया। उत्तराखण्ड राज्य में पहाड़ी क्षेत्रों में राजस्व पुलिस एवं मैदानी क्षेत्रों में रैगुलर पुलिस की व्यवस्था है। अतः ‘‘अपणि सरकार’’ पोर्टल में दोनों चैनल्स हेतु पृथक-पृथक वर्कफ्लो की व्यवस्था ITDA एवं NIC को करनी होगी। बैठक के दौरान यह विषय आया कि आवेदकों को पेट्रोल पम्प हेतु राज्य/भारत सरकार के विभिन्न विभागों से कुल 38 अनापत्ति प्रमाण-पत्र ( NOC ) प्राप्त करने होते हैं। अतः NIC को पेट्रोल पम्प की अनापत्ति प्रमाण-पत्र वाली सेवा हेतु पृथक से एक मौड्यूल बनाने पर विचार करने तथा जिलाधिकारी कार्यालय को इससे संबंधित प्रार्थना-पत्र का प्रारूप, वर्कफ्लो, शासनादेशों, नियमावली एवं इससे संबंधित अन्य विभागों के आदेशों की प्रतियाँ आयोग को उपलब्ध कराने हेतु निर्देशित किया गया। ITDA एवं NIC को यह भी सुनिश्चित करना है कि जिन सेवाओं के आवेदन नागरिकों से प्राप्त कर जिला प्रशासन अनापत्ति देने हेतु पुलिस विभाग को प्रेषित करता है, उन सेवाओं के संबंध में पोर्टल पर यह व्यवस्था की जाये कि आवश्यकतानुरूप आवेदन जिला प्रशासन से पुलिस को जाये और पुलिस विभाग के अंतर्गत संबंधित जाँच आख्या लगाये जाने के उपरांत वह वापिस जिला प्रशासन को प्राप्त हो। पुलिस विभाग को विभिन्न सत्यापनों के विषय में स्थिति स्पष्ट करने तथा जिला प्रशासन को विभिन्न सेवाओं हेतु आवेदन-पत्रों के प्रारूप, वर्कफ्लो, शासनादेश तथा नियमावली आयोग को उपलब्ध कराने हेतु निर्देशित किया गया। बैठक का कार्यवृत्त मुख्य आयुक्त के अनुमोदनोपरांत संबंधितों को कार्यवाही हेतु जारी किया जा चुका है।
MDDA तथा अन्य जिला विकास प्राधिकरणों के साथ बैठक
MDDA तथा अन्य जिला विकास प्राधिकरणों के साथ आयोजित बैठक के दौरान अधिसूचित सेवाओं के वर्कफ्लो, आवेदन-प्रारूपों, अतिरिक्त सेवाओं को जोड़े जाने आदि के संबंध में पुनः चर्चा हुयी। आयोग ने पाया कि आवास विभाग की सेवाओं यथा आवासीय एवं व्यवसायिक मानचित्र स्वीकृति, कार्यपूर्ति प्रमाण-पत्र आदि से संबंधित शासनादेश उपलब्ध नहीं है। यह निर्णय हुआ कि MDDA तथा आवास विभाग द्वारा प्रत्येक सेवा का वर्कफ्लो तथा सेवा से संबंधित Bye-laws की प्रति आयोग को शीघ्र उपलब्ध करायी जायेगी।
उपाध्यक्ष, MDDA द्वारा नागरिकों के हित में निम्न निर्णय लेते हुए उन पर शीघ्र कार्य करने का आश्वासन दिया गयाः-
जिन आवेदकों को स्वीकृति हेतु मानचित्र ऑनलाईन अपलोड करने अथवा ऑनलाईन फीस भुगतान करने में कठिनाई हो, उनके लिए MDDA में एक सुविधा-डेस्क स्थापित की जायेगी।
प्रयुक्त सॉफ्टवेयर का वित्तीय मोडयूल अभी निर्मित किया जा रहा है अतः RTGS अथवा बैंक-चालान द्वारा जमा किये जा रहे भुगतानों को इस प्रकार Integrate किया जायेगा कि उनके पृथक से मिलान ( Reconciliation ), जिसमें वर्तमान में समय लगता है, की आवश्यकता समाप्त हो जायेगी।
व्यवसायिक मानचित्रों की स्वीकृति की समय-सीमा 60 दिन से घटाकर 30 दिन सुनिश्चित की जायेगी।
ऐसे भवनों जहाँ लिफ्ट प्रयुक्त की जा रही है, वहाँ सुरक्षा के दृष्टिगत लिफ्ट का सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रमाणीकरण कराये जाने के उद्देश्य से प्राधिकारी के चिन्हीकरण से संबंधित शासनादेश जारी कराया जायेगा।
Compounding की सेवा हेतु वर्कफ्लो तथा पदाभिहित अधिकारी एवं अपीलीय प्राधिकारियों को चिन्हित कर आयोग को सूचित किया जायेगा।
संयुक्त मुख्य प्रशासक, UHUDA ने अवगत कराया कि MDDA को छोड़कर (चूँकि MDDA का स्वयं का पोर्टल है) अन्य 12 जिला विकास प्राधिकरणों हेतु ऑनलाईन पोर्टल का विकास कराया जा रहा है। साथ ही, उन्होंने विभिन्न सेवाओं की समय-सीमा को न घटाने हेतु यह तर्क दिया कि पर्वतीय जनपदों में अभियंताओं एवं विशेषज्ञों की कमी होने के कारण कभी-कभी अधिक समय लग जाता है। मुख्य आयुक्त, उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार आयोग उनकी दोनों बातों से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने यह सुझाव दिया कि MDDA के द्वारा प्रयुक्त किये जा रहे सॉफ्टवेयर को ही Customize कर अन्य जनपदों हेतु व्यवस्था की जानी चाहिए तथा जब व्यवस्था ऑनलाईन की जा रही है, तो केंद्रीय स्थल (जो MDDA भी हो सकता है) पर उपलब्ध अभियंताओं एवं विशेषज्ञों से ही अन्य जनपदों के मानचित्रों की जाँच करायी जा सकती है। अतः समय-सीमा को बढ़ाये रखने की आवश्यकता नहीं है।
बैठक के दौरान निम्न सेवाओं को संशोधित कर अधिसचित कराये जाने का निर्णय लिया गयाः-
1. व्यवसायिक मानचित्रों के 02 प्रकार होंगे – (अ) जो स्वीकृति हेतु प्राधिकरण के बोर्ड के विचारार्थ रखे जाते हैं एवं बोर्ड की बैठक 03 माह में आहूत होने के कारण जिनकी स्वीकृति में अधिक समय लग जाता है तथा (ब) जो स्वीकृति हेतु प्राधिकरण के बोर्ड के विचारार्थ नहीं रखे जाते एवं 30 दिन के भीतर स्वीकृत किये जा सकते हैं।
2. कार्यपूर्ति प्रमाण-पत्र की सेवा के 03 प्रकार होंगे – (अ) आवासीय मानचित्र (ब) अनावासीय मानचित्र तथा (स) व्यवसायिक मानचित्र
मा. मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत जी के निर्देशानुसार शीघ्र ही अन्य सभी विभागों के साथ श्री एस रामास्वामी, मुख्य आयुक्त की अध्यक्षता में अपणि सरकार पोर्टल में सेवा के अधिकार से संबंधित सेवाओं को जनता को उपलब्ध कराने के लिए बैठकें की जाएगी एवं उत्तराखण्ड की जनता के लिए अपणि सरकार पोर्टल को तीन माह के भीतर उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे घर बैठे-बैठे सरकार द्वारा दी जा रही सेवाओं का लाभ लिया जा सके और अधिकारी भी निश्चित दिनों के भीतर जनता को सेवाएं उपलब्ध कराएं।
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