केडी/विकास कुमार।
हरिद्वार में निजी पट्टे से रिवर ट्रेनिंग के नाम पर रवासन नदी से अवैध खनन करने वाले भाजपा नेता की करतूतों के बारे में पत्र लिखने वाले वन विभाग के अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी हरिद्वार विनय शंकर पांडेय का कहना है कि अवैध खनन के बारे में पत्र लिखने वाले लोगिंग अफसर शेर सिंह के खिलाफ कार्रवाई के लिए पत्र लिखा जाएगा। उनकी जिम्मेदारी थी कि अवैध खनन को रोका जाए लेकिन उन्होंने सिर्फ पत्र लिखकर अपनी जिम्मेदारी निभा दी।
आपको बता दें कि ये पत्र सेाशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और इसी पत्र के बाद भाजपा नेता के अवैध खनन की पेाल खुली। इसके बाद वो किसान भी सामने आए जिन्होंने अपनी जमीन पर रिवर ट्रेनिंग के नाम पर खनन की अनुमति देने पर आपत्ति दर्ज कराई थी। वहीं आम आदमी पार्टी नेता नरेश शर्मा इस मामले में मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद पर हमलावर है और उन्होंने भाजपा नेता आलोक द्विवेदी और स्वामी यतीश्वरानंद के मामले में सरकार से कार्रवाई की मांग की है और हाईकोर्ट जाने का ऐलान किया है।
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क्यों कहा डीएम ने ऐसा
असल में जिलाधिकारी हरिद्वार विनय शंकर पांडेय से जब लोगिग अफसर शेर सिंह के पत्र के बारे में पूछा गया जो एक नवंबर को लिखा गया था तो उन्होंने कहा कि एक दिन पहले ही मुझे ये पत्र मिला है, जबकि हम तीन दिन पहले कार्रवाई कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि उनके पास वन विभाग की टीम होती है और ऐसे में अवैध खनन की जानकारी होने पर उसे क्यों नहीं रोका गया। ये बडी लापरवाही है और इस मामले में शेर सिंह के खिलाफ पत्र लिखा जाएगा।
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क्या था पत्र में
असल में शेर सिंह ने एक नवंबर को हरिद्वार वन प्रभागीय अधिकारी नीरज शर्मा को पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि वन विभाग के रास्ते से रोजाना 500 वाहन निकल रहे हैं और ये सभी ओवरलोड हैं। हर ट्रक में चार सौं से पांच सौ कुंतल सामग्री हैं जबकि 60 से 70 कुंतल ही ई—रवन्नों में दिखाया जा रहा है। यही नहीं ई—रवन्ना भी कुछ ही वाहनों का लिया जा रहा है। इस पत्र ने रवासन नदी में अवैध खनन की पूरी पोल खोलकर रख दी थी।
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वन विभाग, प्रशासन और पुलिस पर सवार
वहीं सबसे बडा सवाल ये है कि अवैध खनन पर वन विभाग, प्रशासन और पुलिस क्या कर रही थी। डीएफओ ने मौके पर जाकर जांच क्यों नहीं की, प्रशासन की टीम ई—रवन्नों की धांधली पर चुप क्यों रही और पुलिस की टीम ओवरलोड वाहनों पर आंखें मूंदे क्यों बैठी रही। क्या पूरे मामले में सिस्टम पर किसी का दबाव था या फिर जानबूझ कर कार्रवाई नहीं की जा रही थी और अब कार्रवाई के नाम पर कुछ वाहन सीज कर अपनी जिम्मेदारी से पीछा क्यों छुडाया जा रहा है। वहीं किसान जसविंदर सिंह का आरोप है कि मेरी शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई उल्टी मुझे डराया धमकाया जा रहा है।
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