Property in Haridwar उत्तराखण्ड के पर्वतीय जनपदों में ही नहीं बल्कि हरिद्वार में भी राज्य से बाहर के व्यक्तियों ने जमीनों की बंदरबांट की है। हालांकि ये काफी पहले से चलता आ रहा है। लेकिन हाल ही में सरकार के आदेश के बाद सिस्टम हरकत में आया तो सारी सच्चाई सामने आई। किसी ने उद्योग लगाने के लिए जमीन ली तो उस पर प्लाटिंग कर जमीन बेच दी। किसी ने आश्रम बना लिया तो अधिकतर ने काम ही शुरु नहीं किया। ऐसे 25 मामले मिले हैं जिन पर प्रशासन कार्रवाई करने जा रहा है।
रोजगार देना था लेकिन कॉलोनी काट जेबें भर निकल लिए
जानकारी के अनुसार औद्योगिक इकाइयों में स्थानीय लोगों को रोजगार मिले, इसके लिए सरकार ने बाहरी व्यक्तियों को भूमि खरीद की अनुमति दी। 25 में से 20 मामलों में भूमि उद्योग लगाने के लिए ही दी गई थी, लेकिन एक भी जगह उद्योग नहीं लगा। हरिद्वार तहसील के देवपुर क्षेत्र में सेक्टर-21 पंचकूला (हरियाणा) निवासी राजेश कुमार को दो बार जमीन खरीद की अनुमति दी गई।
दो मार्च 2007 में 0.4026 हेक्टेयर जमीन कृषि के लिए दी गई, जबकि इससे पहले इसी भूमि के पास उद्योग लगाने के लिए 0.323 हेक्टेयर जमीन दी गई थी। दोनों ही जगह न तो कृषि हुई और न ही कोई उद्योग लगा। प्रशासन ने जांच की दोनों जगह मौके पर आबादी बसी मिली। इस जमीन में प्लॉट काटकर और लोगों को बेच दिया गया।
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खेती की जमीन पर बना दिया आश्रम
एक ऐसा भी मामला सामने आया है कि जिसमें दिल्ली निवासी गूंजन पाहरिया पत्नी अभिषेक ने 2017 में लालढांग के गाजीवाली में खेती के लिए 1.0715 हेक्टेयर जमीन खरीद की अनुमति दी गई। लेकिन यहां खेती नहीं बल्कि एक आश्रम बना दिया गया। जो नियमों का घोर उल्लंघन हैं। वहीं जिला प्रशासन अब जमीन खरीद की अनुमति मिलने के नियमों का उल्लघंन करने वालों के खिलाफ जिला प्रशासन कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है। इसमें जल्द ही जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट में वाद दायर किया जा सकता है। Property in Haridwar
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