Dehradun.
आईएमए द्वारा आयुर्वेदिक एम एस सर्जन का अधिकार मिलने पर ,विरोध जताना अति नींदनीय एवं दुर्भाग्य पूर्ण। इससे आईएमए का आयुर्वेद विरोधी मानसिकता का पता चलता है। ऐसे विरोध प्रदर्शन से आईएमए रोगियों के लिए जहर का काम कर रही है।
महर्षि चरक एवं सुश्रुत दोनों ही आयुर्वेद के चिकित्सक है। महर्षि चरक काय चिकित्सक (फिजिशन) एवं सुश्रुत शल्य कर्म(सर्जन) के विषय के ज्ञाता है।जिन्हें फादर ऑफ़ सर्जन एंड प्लास्टिक सर्जन आज भी माना जाता है,जिसे एलोपैथ चिकित्सक अपनी पेथी में जोड़ कर देखते है।जबकि सर्जरी एक प्रकार कि तकनीक है जो न के एलोपैथ विज्ञान से जन्मी है आयुर्वेद मे सर्जरी ५०००वर्ष पुरानी है,जब किसी को मॉडर्न मेडिसिन के बारे में किसी को पता भी नहीं था तब से आयुर्वेद के माध्यम से सर्जरी कि जाती थी। एम. एस.(सर्जन)चाहे वो किसी भी पैथी का हो अगर वो इस तकनीक को जानते है तो वे शल्य कर्म कर सकते है।जिसे से हमारे देश कि चिकित्सा प्रणाली को हो बल मिलेगा। जबकि एलोपैथ चिकित्सा का जन्म अभी जाड़ा पुराना नहीं है। आधुनिक विज्ञान में आयुर्वेद कि औषधियों के एक्सट्रेक्ट से ही बहुत सी एलोपैथ के ड्रग बनाए जाती रहे है, यहे ठीक वैसा है जैसे अफीम के एक्सट्रेक्ट से एईट्रोपीन का इंजेक्शन बनाना को मॉडर्न मेडिसन मे प्रयोग होता है।
आयुर्वेद चिकित्सक आज भी दुर्गम,अतिदुर्गम गांव मे विषम भुगोलिक परिस्थितियों मे अपनी सेवाए दे रहे है। जहां पर कोई b एलोपैथ डॉक्टर नहीं जाना चाहते वहां आयुर्वेद के चिकित्सक सेना कि तरह दिंरात तैनात होकर अपने स्वस्थ सेवा दे रहे है! आज देश के सभी महानगरों के बड़े – छोटे अस्पतालों मे आयुर्वेद के डॉ ही इमरजेंसी, आई. सी. यू , आई. पी. डी बड़ी कुशलता से सम्हाल रहे है। जहां एलोपैथ के विशेशज्ञं ओ.पी.डी देख कर चले जाते है वहां सरा कार्य हमारे आयुर्वेद के कुशल चिकित्सक द्वारा ही देखा जाता है, जो किसी भी आई. एम. ए के सदस्य से चूपा नहीं है। मैं सरकार के इस आयु्वेदिक एम. एस सर्जरी के आदेश के बहुत सरहना करता हूं, इस तरह के आदेश से एलोपैथ चिकित्सक क भरम भी टूठेगा ।
आई. एम.ए की आयुर्वेद विरोधी मानसिकता- डॉ. विवेक सतलेवाल
Share News