kaliyar has close fight between bjp and congress

एंटी इंकम्बेंसी, आप, आसपा, बसपा से जूझ रहे फुरकान, भाजपा ने भी की सेंधमारी, कड़ा मुकाबला


विकास कुमार।
कलियर विधानसभा चुनाव में बसपा के दिग्गज नेता शहजाद के लक्सर जाने के बावजूद पिछले दस सालों की एंटी इंकम्बेंसी से फुरकान अहमद दो चार हो रहे हैं। वहीं आम आदमी पार्टी के शादाब आलम, आजाद समाज पार्टी के वाहिद भूरा प्रधान और बसपा व अन्य दलों ने भी फुरकान के वोट बैंक में सेंधमारी की है। उधर, भाजपा की मुनीष सैनी भी अपनी साफ्ट छवि के चलते मुस्लिम वोट बैंक में पकड़ बना रहे हैं। जिसके चलते कलियर की जंग बेहद ही कांटे की हो गई है। यहां भाजपा और कांग्रेस के अलावा आप, आसपा और बसपा निर्णायक मोड पर हैं।
कलियर निवासी आमिर अली ने बताया कि पहले जितना आसान मुकाबला कलियर का समझा जा रहा था उतना अब दिख नहीं रहा है। असल में कलियर का पिछले दस सालों में कोई महत्वपूर्ण विकास नहीं हो पाया। कलियर आज भी मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहा है। इसके अलावा फुरकान अहमद कांग्रेस की सरकार हो या फिर भाजपा की सरकार कलियर के मुद्दे प्रभावी ढंग से उठाने में नाकाम साबित हुए हैं। ये अलग बात है कि वो अपने व्यवहार के कारण मुस्लिम वोटरों के एक खास वर्ग के चेहते बने रहे।

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मुस्लिम वोटरों में आप, आसपा, बसपा, भाजपा व अन्यों ने की सेंधमारी
वहीं दूसरी ओर आप आदमी पार्टी के शादाब आलम अपनी राजनीतिक समझ के बलबूते मुस्लिम मतदाताओं में बहुत अधिक मजबूती बना चुके हैं, जिसकी उम्मीद नहीं की जा रही थी। उधर, आजाद समाज पार्टी के वाहिद उर्फ भूरा प्रधान मुसिलम और दलितों के युवा वर्ग में पैठ बना रहे हैं वहीं बसपा के सैनी उम्मीदवार भी दलितों के साथ—साथ मुस्लिम मतों में हिस्सा ले रहे हैं। जिसके कारण कांग्रेस का वोट बैंक छिटक रहा है। वहीं भाजपा के मुनीष सैनी भी मुस्लिम मतों में लगातार सेंधमारी कर रही है। अपने वोट बैंक को साधे रहना फुरकान के लिए आसान नहीं है। यही कारण है कि वहीं जनपद की अन्य सीटों की तरह ही कलियर में भी बहुत कडा मुकाबला हो रहा है। उधर, दलित वोट बैंक में भी कांग्रेस को आसपा, बसपा और भाजपा से चुनौती मिल रही है।

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