कलियर नगर पंचायत: PM आवास योजना में ‘अपात्रों’ का कब्ज़ा! – बडे घोटाले आशंका, बड़ी कार्रवाई की मांग

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कलियर नगर पंचायत: PM आवास योजना में ‘अपात्रों’ का कब्ज़ा! – बडे घोटाले आशंका, बड़ी कार्रवाई की मांग

अतीक साबरी:-​कलियर (उत्तराखंड) – केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY), जिसका लक्ष्य हर गरीब को पक्का घर मुहैया कराना है, अब कलियर नगर पंचायत में भ्रष्टाचार और धांधली के गहरे साये में आ गई है।

स्थानीय सूत्रों और लाभार्थियों के अनुसार, नगर पंचायत के कुछ कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर अपात्र लोगों को आवास आवंटित कर दिए गए हैं, जबकि कई जरूरतमंद और पात्र परिवार आज भी योजना के लाभ से वंचित हैं।​

गरीबों के हक़ पर डाका: PM आवास में ‘VIP एंट्री’ का खेल​

योजना के तहत जिन पात्र लोगों को मकान की किश्तें मिलनी चाहिए थीं, उन्हें महीनों से सिर्फ आश्वासन मिल रहे हैं। वहीं, चौंकाने वाला खुलासा यह है कि कई ऐसे लोग भी सरकारी धन का लाभ उठा चुके हैं जो पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करते। इनमें कई संपन्न और पहले से पक्के मकान वाले लोग शामिल हैं, जिन्होंने कथित तौर पर स्थानीय कर्मचारियों की मिलीभगत से अवैध तरीके से योजना का लाभ लिया है। यह सीधा-सीधा गरीब और बेघर लोगों के हक पर डाका है।

क्या वर्तमान अध्यक्ष दिलाएंगे गरीब लोगों को मकान?

अपात्रों से होगी पूरी रिकवरी?

​इस गंभीर अनियमितता के सामने आने के बाद, सारी निगाहें अब वर्तमान नगर पंचायत अध्यक्ष समीना पर टिक गई हैं। जनता मांग कर रही है कि अध्यक्ष न केवल इस घोटाले पर सख्त एक्शन लें, बल्कि यह भी सुनिश्चित करें कि:​पात्रों को उनका हक मिले: सभी पात्र लोगों को बिना किसी देरी के मकान की किश्तें जारी की जाएँ।​

अपात्रों से वसूली हो: जाँच में जो भी लाभार्थी अपात्र पाए जाते हैं, उनसे योजना के तहत ली गई पूरी राशि की तत्काल वसूली (रिकवरी) हो।​

सरकारी खजाने को चूना: करोड़ों की रिकवरी और FIR की तैयारी?​

यह गंभीर अनियमितता न केवल सरकारी खजाने को चूना लगा रही है, बल्कि योजना की विश्वसनीयता पर भी बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है। जनता की ओर से अब इस पूरे मामले की तत्काल और निष्पक्ष उच्च-स्तरीय जाँच की मांग जोर पकड़ रही है।​

जाँच की तीन-सूत्रीय मांग: रिकवरी, FIR और भ्रष्ट कर्मचारियों पर निलंबन

​जनता की प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं:​1. लाभार्थियों की सूची का पुन: सत्यापन: नगर पंचायत द्वारा आवंटित सभी आवासों के लाभार्थियों की सूची की घर-घर जाकर जाँच की जाए ताकि पात्र और अपात्र का स्पष्ट अंतर सामने आ सके।

​2. अपात्रों से धन की पूर्ण रिकवरी: जाँच में जो भी लाभार्थी अपात्र पाए जाते हैं, उनसे योजना के तहत ली गई पूरी राशि (किश्तें) की तत्काल वसूली (रिकवरी) की जाए।​

3. संलिप्त कर्मचारियों पर शिकंजा: इस भ्रष्टाचार में संलिप्त नगर पंचायत के कर्मचारियों और अधिकारियों की पहचान कर उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई हो।​

गरीबों का हक मारकर अपनी तिजोरी भरने वाले किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को बख्शा नहीं जाना चाहिए। यह सिर्फ पैसों का घोटाला नहीं, यह जरूरतमंदों के सपनों का क़त्ल है।” – एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता​

कब जागेगा प्रशासन? कलियर के पात्र परिवारों को न्याय कब?

​यह मामला स्पष्ट रूप से दिखाता है कि कैसे निचले स्तर पर भ्रष्टाचार दीमक की तरह जनकल्याणकारी योजनाओं को खोखला कर रहा है। स्थानीय प्रशासन को इस मामले का संज्ञान लेते हुए एक सप्ताह के भीतर जाँच शुरू करनी चाहिए और पात्र गरीबों को उनका छीना हुआ हक दिलवाना चाहिए।​

अगली खबर: क्या जिला प्रशासन इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई की घोषणा करेगा? हम इस पूरे घटनाक्रम पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।