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क्या मदन कौशिक पर भारी पड़ रहे हैं अनिल बलूनी, क्या हो सकता है बदलाव, क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार


विकास कुमार।

उत्तराखंड मैं भाजपा की कमान भले ही मदन कौशिक के हाथों में हो लेकिन मदन कौशिक बतौर प्रदेश अध्यक्ष उतने प्रभावी नजर नहीं आ रहे हैं। जबकि उनकी जगह अनिल बलूनी संगठन की गतिविधियों में भारी नजर दिखाई दे रहे हैं। चाहे निर्दलीय विधायकों भाजपा में शामिल कराना हो या फिर भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल होने जा रहे विधायक उमेश शर्मा काऊ को दिल्ली में अपने कार्यालय पर बुलाना हो। सभी में अनिल बलूनी ने अपनी क्षमता को प्रभावी तरीके से प्रदर्शित किया है। जबकि मदन कौशिक प्रदेश अध्यक्ष होने के बावजूद सिर्फ कुछ ही देहरादून और हरिद्वार तक ही सिमटे हुए हैं। हरिद्वार में भी उनका कुछ ज्यादा प्रभाव नहीं है। हरिद्वाद के लगभग सभी भाजपा विधायक उनसे नाराज हैं। मदन कौशिक सिर्फ अपनी विधानसभा तक सिमटे हुए हैं। वही कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके पुत्र संजीव आर्य के भाजपा में जाने के बाद मदन कौशिक की काबिलियत पर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि बदलाव को लेकर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता और अगर बदलाव हो भी जाता है तो यह हैरानी वाली बात नहीं होगी।

वरिष्ठ पत्रकार अवनीश प्रेमी ने बताया कि इसमें दो राय नहीं कि बतौर प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक बिल्कुल भी प्रभावी नजर नहीं आ रहे हैं। इनका पहाड़ से लेकर मैदान तक विरोध है। वहीं दूसरी और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी लगातार खुद को मजबूत और ज्यादा मजबूत दिखाते चले आ रहे हैं।निर्दलीय विधायकों की भाजपा में एंट्री में अनिल बलूनी ने भूमिका निभाई तो उमेश शर्मा काऊ के साथ जिस तरह से उनका फोटो आखिरी वक्त पर सामने आया, उसने साबित कर दिया कि संगठन में जो भी कुछ हो रहा है वह अनिल बलूनी ही हैंडल कर रहे हैं। मदन कौशिक प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर उत्तराखंड भाजपा में स्वीकार्य साबित नहीं हो रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार महावीर सिंह नेगी ने बताया कि पहाड़ी और गैर पहाड़ी होने भी मदन कौशिक के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर विफलता का एक कारण है। उत्तराखंड की सियासत में अनिल बलूनी बहुत सक्रिय हैं और दो बार वह मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने में नाकामयाब रहे। अब वो संगठन के जरिए तीसरा प्रयास कर रहे हैं। संगठन में उनकी नजदीकी जगजाहिर है और वह खुद को साबित भी कर रहे हैं। दिल्ली में संगठन में भी उनकी पकड़ है । लिहाजा आने वाले समय में अनिल बलूनी की भूमिका उत्तराखंड भाजपा में बहुत महत्वपूर्ण होने वाली है।हालांकि अभी यह नहीं कहा जा सकता कि मदन कौशिक को अध्यक्ष पद से हटाया जाएगा या नहीं क्योंकि इसमें मैदानी क्षेत्र में नाराजगी हो सकती है। लेकिन यह भी बात सही है कि मैदान के भाजपा विधायक या संगठन के लोग मदन कौशिक को पसंद नहीं करते हैं और उनके गृह जनपद हरिद्वार में ही वह अलग-थलग पड़े हैं।

वरिष्ठ पत्रकार राव शफात अली ने बताया की मदन कौशिक अपनी विधानसभा में बूथ मैनेजमेंट और मजबूत संगठन के कारण जीतते चले आ रहे हैं। लेकिन उनका यह जादू बतौर प्रदेश अध्यक्ष नहीं चल पा रहा है। वह फिलहाल निष्क्रिय से दिखाई दे रहे हैं। उनकी स्वीकार्यता उत्तराखंड में बन नहीं पा रही है।और फिलहाल यशपाल आर्य के भाजपा छोड़ कांग्रेस में जाने के बाद मदन कौशिक बैकफुट पर है। जबकि अनिल बलूनी फ्रंट फुट पर आकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। ऐसे में आने वाला समय मदन कौशिक के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण होने वाला है।

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