Fake Drug Racket
रतनमणी डोभाल। Fake Drug Racket देहरादून पुलिस ने हरिद्वार में नकली दवा बनाने वाले रैकेट का खुलासा किया है, जो एक बडी कंपनी के नाम पर नकली दवाएं बनाकर उत्तराखण्ड, दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों में दवाईयां सप्लाई कर रहा था। हरिद्वार में झबरेडा के गांव मकदूमपुर में 2019 से लगातार नकली दवाईयां बनाई जा रही थी और ये नकली दवाईयां बेचकर इस गिरोह ने महंगी कारें, प्रोपर्टी और जमीनें खरीदी थी। हैरानी की बात है कि हरिद्वार के प्रशासन और ड्रग विभाग को इसकी भनक नहीं लगी या फिर जानबूझ कर आंखें बंद की जाती रही।
कोरोना में गई नौकरी तो बना ली नकली दवा बनाने की कंपनी
देहरादून एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि JAGSONPAL PHARMACEUTICALS LIMITED के नुमाएंदे ने उनकी कंपनी के नाम पर बाजार में नकली दवाईय सप्लाई की जाने की शिकायत रायपुर पुलिस को की थी। जिसके बाद हरिद्वार के झबरेडा और देहरादून में रेड की गई। छापामारी के बाद पुलिस ने सचिन शर्मा निवासी मंगलौर हरिद्वार और विकास निवासी सिखेडा मुज्जफरनगर को गिरफ्तार किया। पूछताछ में सचिन ने बताया कि वो भगवानपुर की दवा कंपनी में काम करता था जबकि विकास जगसन पाल कंपनी में एमआर के तौर पर काम करता था। कोरोना काल में दोनों की नौकरी चली गई जिसके बाद दोनों ने षडयंत्र कर जगसन पाल कंपनी के नाम से नकली दवा बनाने का धंधा खोल लिया।
इसके लिए दोनों ने झबरेडा के मकदूमपुर में दवा बनाने की कंपनी खोली। दोनों कच्चा माल मुंबई से लाते थे और दवा बनाने के बाद उसे दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में सप्लाई किया जाता था। दोनों ने नकली दवा बनाकर करोडों रुपए बनाए और उससे महंगी कारें, जमीनें और प्रोपर्टी खरीदी। दोनों जल्द ही मकदूमपुर में ही एक बडी कंपनी खोलने वाले थे। लेकिन इससे पहले पुलिस ने दोनों को पकड लिया।
हालांकि नकली दवा बनाने वाली कंपनी का हरिद्वार से पकडा जाना कोई नई बात नहीं है। इससे पहले कई बार हरिद्वार के रुडकी भगवानपुर क्षेत्र से नकली दवा बनाने वाले फेक कंपनियों को पकडा था जो नामी कंपनियों के नाम पर नकली दवा बनाकर बाजार में बेच रही थी।
लेकिन बडा सवाल ये है कि हरिद्वार जिला प्रशासन और ड्रग विभाग इतने बडे नेटवर्क के बाद भी खामोश क्यों बैठा है। वो कौन सा कारण है जो नकली दवा बनाने वाली कंपनियों पर कार्रवाई से जिला प्रशासन और ड्रग विभाग को रोक रहा है। क्या इसी तरह लोगों के जीवन से खिलवाडा होने दिया जाता रहेगा। आपकी क्या राय है ड्रग विभाग क्यों खामोश बैठा है, कमेंट कर जरुर बताएं।
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