चंद्रशेखर जोशी/विकास कुमार।
मेरे पति को नशे के इंजेक्शन लेने की लत लगी थी। ये लत उनके दोस्तों ने लगाई थी। पहले फ्री में लगाया और उसके बाद पति रोजाना इंजेक्शन लगाने लगे। मैं अपने पति से परेशान रहने लगी और उनका नशा छुडाने का प्रयास कर रही थी। गुस्से में मैंने एक दिन पति को कहा आपने नहीं छोडा तो मैं नशा करने लग जाउंगी। पति ने कह दिया तुम भी लगाओ और मैंने गुस्से में पहली बार इंजेक्शन लगा लिया, जिसने मेरी जिंदगी को पूरी तरह बरबाद कर दिया। हर कोई हमारा फायदा उठाने में लगा था। Drug free Uttarakhand Drug addiction in Haridwar
26 वर्षीय युवती ये कहते हुए रोने लगी। हरिद्वार की एक कॉलोनी की रहने वाली युवती ने बताया कि हमारा परिवार खुशहाल था और घर में किसी चीज की कमी नही थी। लेकिन पति के दोस्तों की बुरी संगत के कारण पति नशे की लत लगा बैठे। मैं परेशान थी लेकिन इंजेक्शन लगाने के बाद मुझे शुरु में रिलेक्श लगा लेकिन दो दिन बाद मुझे इसकी लत लग गई। मैं इजेक्शन लगाए बिना नहीं रह सकती थी।
मैंने छोडने की कोशिश की लेकिन मेरी आंखों से पानी आने लगा और हाथ पैर कांपने लगे। मुझसे घर का कोई काम भी नहीं होता था बस दिन पर नशे में पडी रहती थी। पति के साथ मैं भी खुद दिन में दो बार इंजेक्शन लगाने लगी। इससे मेरी जिंदगी पूरी तरह बरबाद हो गई। नशे की आदत लगने के बाद परिवार के लोगों ने भी हमसे मुंह मोड लिया। मां, भाई, बहन सभी रिश्तेदारों ने हमारे घर भी आना छोड दिया।
नशा खरीदने के लिए घर का सामान बेचने लगे और यहां तक कि जेवर भी बेचने शुरु कर दिया और जब आखिर में कुछ नहीं समझ आया तो इससे छुटकारा पाने की सोची। कभी लगा कि अपनी जिंदगी को खत्म कर दिया जाए। लेकिन छोटे बच्चे को देखकर वो नहीं हो पाया। इसके बाद इससे बचने की दवाईयां शुरु की और तब जाकर इजेक्शन का नशा छूटा लेकिन अब दवाईयों के बिना नही रह सकते हैं। हालांकि अभी बहुत राहत है और अब मैंने और मेरे पति ने नशा बिल्कुल छोड दिया है। यही नहीं हमारे रिश्तेदारों ने भी हमसे फिर से नाता जोड लिया है।
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