विकास कुमार।
हरिद्वार शहर विधानसभा चुनाव में बदलाव का दावा करने वाले कांग्रेस नेता सतपाल ब्रह्मचारी करीब पंद्रह हजार वोटों के अंतर से हार गए जो उनको 2012 में मिली हार का दोगुना अंतर था। जबकि इस बार सतपाल ब्रह्मचारी अपनी जीत पक्की बता रहे थे। सतपाल ब्रह्मचारी के साथ चुनावी जंग में हिस्सा लेने वाले मेयर पति व कांग्रेस नेता अशोक शर्मा से हमने सतपाल की हार के कारणों के बारे में चर्चा की।
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सतपाल ब्रह्मचारी अपने चुनाव का प्रबंधन नहीं कर पाए
अशोक शर्मा ने बताया कि चुनाव में जीत हार इस बात पर निर्भर करता है कि आपका चुनावी प्रबंधन कितना प्रभावी है। मदन कौशिक के मुकाबले हम अपने चुनाव का प्रबंधन सही नहीं कर पाए। हालांकि इस कमी के कई कारण हैं, लेकिन अगर चुनाव को बेहतर ढंग से प्रबंधन किया होता तो बदलाव आ सकता था, खासतौर पर ऐसी स्थिति में जबकि जनता साथ खडी हो।
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भाजपा ने किया धनबल का प्रयोग
वहीं अशोक शर्मा हार का दूसरा कारण धनबल का अधिक प्रयोग भी बताते हैं। अशोक शर्मा का मानना है कि आखिरी के दिनों में भाजपा की ओर से बहुत ज्यादा पैसा बांटा गया, जिसको सतपाल ब्रह्मचारी रोक नहीं पाए और ना ही इसकी कोई काट तलाश कर पाए।
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केवल नशे को चुनावी मुद्दा बनाए रखने पर जोर
अशोक शर्मा बताते हैं कि चुनाव में नशे को एकमात्र मुद्दे के तौर पर मदन कौशिक के खिलाफ प्रयोग किया गया। लेकिन मदन कौशिक और भाजपा के खिलाफ दूसरे कई मुद्दे थे जिनको लेकर आक्रामकता दिखाए जाने की आवश्यकता था, लेकिन जो भी सतपाल ब्रह्मचारी की टीम की ओर सिर्फ और सिर्फ नशे पर फोकस रख दिया गया। जबकि इसका उतना फायदा नहीं हुआ, हां कुछ नुकसान जरुर हो गया।
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कांग्रेस एकजुटता नहीं दिखा पाई
अशोक शर्मा बताते हैं कि जिस तरह कांग्रेस मेयर के चुनाव में एकजुट खडी हो गई थी, लेकिन इस चुनाव में एकजुटता का प्रदर्शन नहीं किया गया। कांग्रेस अगर एकजुटता दिखाने में कामयाब होती तो चुनाव को जीता जा सकता था। हालांकि सतपाल ब्रह्मचारी ने अपनी ओर से प्रयास किया लेकिन इसमें सफल नहीं हो पाए। वहीं मेयर अनीता शर्मा के चेहरे को कनखल के बाहर भी अच्छे से इस्तेमाल किया जाना चाहिए था जो नहीं हो सका।
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