हरिद्वार में एक आश्रम और चंद नेताओं तक सीमित क्यों हैं प्रीतम सिंह, बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार

केडी/विकास कुमार।
उत्तराखण्ड कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष रहने के बावजूद नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह हरिद्वार जैसे बडे जनपद में लोकप्रिय क्यों नहीं हो पाए। हरिद्वार में क्यों वो उत्तरी हरिद्वार स्थित जयराम आश्रम और चंद कांग्रेसी नेताओं तक सिमटे हुए रहे। जबकि बतौर प्रदेश अध्यक्ष उनके पास खुद को देहरादून से स्थापित करने का बेहतरीन मौका था। खासतौर पर ऐसे स्थिति में जब हरिद्वार हरीश रावत से दूरी बना रहा था। बावजूद इसके प्रीतम सिंह हरीश रावत जितनी लोकप्रियता हरिद्वार में स्थापित नहीं कर पाए और शहर तक चंद नेताओं के इर्द—गिर्द सिमटे रहे या यूं कहें कि ये नेता प्रीतम सिंह को घेर कर उन्हें गुलाबी तस्वीर दिखाते रहे।

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कहां गलती हुई प्रीतम सिंह से, बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार
वरिष्ठ पत्रकार अवनीश प्रेमी ने बताया कि प्रीतम सिंह के पास खुद को देहरादून से बाहर स्थापित करने का बेहतरीन मौका था लेकिन उन्होंने इसे गवां दिया। खासतौर पर हरिद्वार की बात करें तो जयराम आश्रम वो कुछ नेता बस यहां तक उनका सफर है। उन्होंने अपनी टीम तो बनाई लेकिन उसका लाभ नहीं ले पाए और जिनको जिम्मेदारी दी वो हरिद्वार के दूसरे नेताओं के कहने पर ज्यादा चलते रहे। कोई जनआंदोलन खडा नहीं किया ना ही लोगों से बहुत ज्यादा संपर्क बनाया। बहुत ज्यादा सी​मित रहने के कारण उनका प्रभाव बहुत ही कम है। उनका ध्यान अपनी विधानसभ पर रहा जो उन्हें विरासत में मिली है। इसलिए मौका होते हुए भी वो प्रदेश स्तर का लीडर बनने के अवसर को भुना नहीं पाए। वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि डोभाल बताते हैं कि प्रीतम सिंह में जन नेता बनने की काबलियित नहीं लगती है। हरिद्वार में देखें तो वो अपनी तरह के ही नेताओं से मेलजोल ज्यादा रखते हैं। हरिद्वार में उन्होंने राजीव चौधरी को कार्यकारी ग्रामीण अध्यक्ष बनाया जो साबित करता है कि वो राजनीति में बहुत ज्यादा सुलझे हुए नहीं हैं। यही कारण है उन्हें चुनाव से पहले प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया गया जो कि कांग्रेस के लिए एक अच्छा फैसला रहा। जहां तक हरीश रावत का सवाल है शहर से लेकर देहात तक उनके अपने लोग हैं और वो लगातार संघर्ष के लिए सडकों पर रहते हैं। जबकि प्रीतम सिंह ऐसा नहीं कर पाए। रविवार को वो हरिद्वार पहुंचे लेकिन हरीश रावत के विरोधी गुट के कुछ नेता ही उनके इर्द—गिर्द घूमते रहे जिनका अपना जनाधार कुछ नहीं है। जबकि हरीश रावत ज्वालापुर क्षेत्र में जन आक्रोश रैली से होते हुए देहात में माहौल बनाते हुए घूम रहे हैं।

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