पीसी जोशी।
उत्तराखण्ड में भाजपा के दलित विधायक सुरेश राठौर को निरंजनी अखाडे ने नागा साधुओं का महामंडलेश्वर बनाने का फैसला किया है। पांच अप्रैल को उनको अखाडे के नियमों के अनुसार महामंडलेश्वर बनाया जाएगा। इस फैसले का संत समाज मुखरता से विरोध कर रहा है। वहीं संन्यास परंपरा में सर्वोच्च पद पर आसीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने भी निरंजनी अखाडे के इस फैसले का विरोध किया है। उनके प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने इसे संन्यास परंपरा के खिलाफ बताया है। वहीं एक दूसरे बडे संत ने इस फैसले को कोर्ट में चुनौती देने का ऐलान कर दिया है। उधर, महामंडलेश्वर बनाए जाने से पहले शनिवार को भाजपा के दलित विधायक सुरेश राठौर ने अपने समर्थकों के साथ शोभायात्रा निकालकर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। वहीं निरंजनी अखाडा भी कहा चुका है कि वो सुरेश राठौर को गृहस्थी होने के बावजूद महामंडलेश्वर बनाएगा।
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संत समाज क्यों कर रहा है विरोध
भाजपा के दलित विधायक सुरेश राठौर हरिद्वार जनपद की ज्वालापुर विधानसभ सीट से विधायक हैं। सुरेश राठौर शादीशुदा है और उनके तीन बच्चे हैं। यही नहीं महामंडलेश्वर बनने से पहले वो रविदासाचार्य का पद भी संभाले हुए हैं। सुरेश राठौर दावा करते हैं कि रविदास परंपरा के वे पूरे विश्व में एक लौते रविदासाचार्य हैं। लेकिन संत समाज सुरेश राठौर को महामंडलेश्वर बनाए जाने से खुश नहीं है। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि सुरेश राठौर को महामंडलेश्वर बनाया जाना संन्यास परंपरा के खिलाफ है। क्योंकि महामंडलेश्वर संन्यासी संतों की एक मंडली का प्रमुख होता है ऐसे में संन्यासी संतों की मंडली का प्रमुख कोई गृहस्थ नहीं हो सकता है। उन्होंने बताया कि सनातन परंपरा की सर्वोच्च पीठ का काम होता है फैसला सुनाना और हमने अपना फैसला दे दिया है जो सुरेश राठौर जो कि एक गृहस्थी है को संन्यासियों का महामंडलेश्वर बनाया जाना नियम विरूद्ध है अब ये निरंजनी अखाडे पर है कि वो इस फैसले को माने या ना माने। लेकिन ये इतिहास याद रखेगा कि जब ऐसा मामला आया तो शंकराचार्य पीठ की ओर से इसका विरोध किया गया था।
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स्वामी शिवानंद सरस्वती देेंगे कोर्ट में चुनोती
मातृ सदन प्रमुख स्वामी शिवानंद सरस्वती पहले ही निरंजनी अखाडे के फैसले का विरोध कर चुके हैं और उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर निरंजनी अखाडा संन्यास परंपरा के खिलाफ किसी गृहस्थ को महामंडलेश्वर बनाता है तो वो इस फैसले को कोर्ट में चुनौती देंगे, क्योंकि निरंजनी अखाडा किसी का निजी नहीं है ये सभी साधुओं का है।
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Rathore Dalit nahi hote hain.
Ye kyun jhootha surname use kar rahe hain.
Asli Rathore Rajsthan aur MP se Thakur Rajput Kshatriya hote hain. Jo Rao Jodha aur Jaichand ke vanshaj hain, aur aaj bhi Jodhpur Maharaj Jo Rathore Rajgharana se hain. Wo Hain. Ye matter wahin transfer kar diya hai. Isiliye Rathore surname use karna band karo .
Rathore name ko badnaam karna band karo Mantri ji.