विकास कुमार।
हरिद्वार महाकुंभ के पहले शाही स्नान पर श्रद्धालुओं के सैलाब ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए। वहीं श्रद्धालुओं को गंगा में मोक्ष की डुबकी लगाने के लिए घंटो पैदल चलने को मजबूर होना पड़ा। शहर में गुरुवार सुबह से ही पैदल सर पर गठरी और हाथों में सामान लिए यात्री पैदल हरकी पैडी की ओर बढे चले जा रहे थे। इनमें से अधिकतर तक भेल फाउण्ड्री गेट से पैदल आ रहे थे जबकि कई दूसरे रास्तों से पैदल चलते चले जा रहे थे। साइन बोर्ड और सही रास्ता ना पता होने के कारण श्रद्धालु बस यहां वहां भटक रहे थे। इससे श्रद्धालुओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
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साइन बोर्ड के अभाव में भटके श्रद्धालु
शाही स्नान पर भीड को देखते हुए मेला पुलिस ने रुट डायवर्ट किए थे और इसके कारण बसों को शहर में नहीं आने दिया जा रहा था। शहर में किसी तरह पैदल चलकर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को ये पता नहीं चल पा रहा था कि उन्हें हरकी पैडी तक जाना कैसे है जबकि हरकी पैडी पर स्नान श्रद्धालुओं के लिए शाम छह बजे तक प्रतिबंधित था। श्रद्धालुओं को सही जानकारी ना होने और शहर में साइन बोर्ड ना लगे होने के कारण श्रद्धालु शहर से हाईवे की ओर और हाईवे से शहर की ओर भटकते रहे और पैदल चलते हुए थकते रहे।
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शटल बसों को चलाने के दावे हवा
मेला प्रशासन ने श्रद्धालुओं को परेशानी से बचाने के लिए शहर के बाहर बने बस अड्डों से शहर में लाने के लिए शटल बस सेवा चलाने का दावा किया था। ये दावा किया गया था पर्याप्त बसें चलाई जाएगी। लेकिन, शटल बसें कहीं दिखाई नहीं दी बल्कि यात्री दोपहर बाद तक पैदल ही चलते रहे। दिल्ली के वजीरपुर निवासी सुनील सोनी और विशाल ने बताया कि उन्हें शहर में आने के लिए घंटों पैदल चलना पडा। अभी भी ये नहीं पता कि किस मार्ग से गंगा स्नान के लिए पहुंच सकते हैं। पुलिस बस ये बता रही है कि यहां नहीं जाना है लेकिन किधर जाना है कौन सा रास्ता सही है ये नहीं पता है।
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क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार
वरिष्ठ पत्रकार राजेश शर्मा ने बताया कि व्यवस्थाओं को बेहतर किया जा सकता था। लेकिन, मेला प्रशासन इसमें चूक गया। प्रचार पर करोड़ों रुपए खर्च किया गया, लेकिन शहर में साइन बोर्ड नहीं लगवाए गए। ताकि यात्रियों को परेशानी ना हो। इसके अभाव में लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि स्वयंसेवी और अन्य संगठन भी नदारद दिखे। यही हाल शटल बस सेवा का भी था। वरिष्ठ पत्रकार आदेश त्यागी बताते हैं कि शहर के घाट एक बार फिर मेला प्रशासन के लिए वरदान साबित हुए हैं। लेकिन, श्रद्धालुओं को कम से कम परेशान का सामना करना पडे, इसका ख्याल रखा जाना चाहिए था। श्रद्धालु यहां वहां भटक रहे थे। एक सिस्टम बनाया जाना जरुरी है। उन्होंने कहा कि मेला प्रशासन का पूरा ध्यान संतों के स्नान पर फोकस होकर रह गया जबकि आम भक्त को मोक्ष की डुबकी के लिए घंटों पैदल चलवाया गया।