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पुलिस सफल तो मेला सफल : क्या है पहले शाही स्नान पर मेला पुलिस का प्लान


विकास कुमार।

हरिद्वार में एक कहावत आम है कि मेला तो पुलिस ही कराती है यानी प्रशासनिक स्तर पर चाहे जितनी कसरत और दौड़ धूप हो जाए आखिर में व्यवस्था पुलिस को ही संभालनी पड़ती है। और ऐसी स्थिति में जब कुम्भ के कार्य अभी भी जारी है और कोरोना जैसी महामारी का खतरा बना हुआ हो तो पुलिस के सामने और भी बड़ी चुनौती हो जाती है। हालांकि अपने स्तर से जिलाधिकारी सी रविशंकर और मेला अफसर दीपक रावत कमान सम्भाले हुए हैं लेकिन मेले की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि मेला आईजी संजय गुंज्याल की टीम कैसे काम करती है। 
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अखाड़ो के शाही जुलूस में शामिल नही होंगे आम भक्त

अखाड़ा परिषद के साथ आईजी कुम्भ संजय गुंज्याल और दूसरे दीगर अफसरान की बैठक हुई जिसमें तय किया गया कि शाही स्नान जुलूस के साथ आगे पीछे एक-एक दरोगा वायर लैस के साथ मौजूद रहेगा ताकि जुलूस की सही स्थित पता चल सके। शाही स्नान जुलूस के दोनो ओर रस्सा रहेगा ताकि अखाड़े के अलावा अन्य कोई व्यक्ति जुलूस में शामिल न हो सके। शाही स्नान जुलूसों के आगे-पीछे चलते समय जुलूस आपस मे मिल न जाएं उसके लिए जुलूस के आगे पीछे 4-4 घोड़े ड्यूटी पर रहेगें। अखाड़े को नियमानुसार VIP पास दिए जाना भी तय हुआ है। 

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कमांड कंट्रोल से रखी जायेगी पैनी नज़र 

इसके अलावा मेला पुलिस मेला नियन्त्रण कक्ष में स्थापित कमांड कंट्रोल सेंटर से पूरे हरिद्वार की ट्रैफिक व्यवस्था पर नज़र रखेगी और भीड़ प्रबंधन का भी काम करेगी। यही नही रेलवे स्टेशन हरिद्वार में स्थापित क्विक रेस्पॉन्स सिस्टम से भी मेला पुलिस कॉर्डिनेशन करेगी ताकि बेहतर तरीके से भीड़ का प्रबंधन हो सके। 
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स्वास्थ्य विभाग की भी अहम भूमिका 

वही स्वास्थ विभाग भी मेला स्नान में अहम भूमिका निभाएगा। मेला स्वास्थ अधिकारी डॉ एके सेंगर ने बताया कि जिला प्रशासन के साथ मिलकर बॉर्डर पर covid जांच के लिए टीम रहेगी और थर्मल स्क्रीनिंग भी की जाएगी। वही घाटों पर ही टीमें तैनात रहेगी जो यात्रियों की रैंडम जांच करेंगी। 
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जिलाधिकारी सी रविशंकर  और मेलाधिकारी दीपक रावत का अनुभव आएगा काम

चूंकि अभी कुंभ मेले का नोटिफिकेशन नही हुआ है और जिला प्रशासन ही मेला पुलिस के साथ अभी तक हुए स्नानों को सकुशल सम्पन्न कराने में आगे रहा है। ऐसे में इस स्नान में उनका अनुभव भी महत्वपूर्ण रहेगा। वही मेला अधिकारी दीपक रावत के लिए भी पहला शाही स्नान तालमेल और समन्वय के साथ सम्पन्न कराना किसी चुनोती से कम नही होगा।

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