विकास कुमार।
महाकुंभ 2021 के पहले शाही स्नान पर हाईकोर्ट के आदेश आस्था के सैलाब के आगे बौने साबित हुए। मेला प्रशासन भी आदेश के मुताबिक कोरोना संबंधी गाइडलाइन लागू कराने में नाकाम साबित हुआ है। मेला प्रशासन के मुताबिक गुरुवार को दोपहर तक करीब 26 लाख लोग स्नान कर चुके थे और स्नान करने वाले भक्त कई—कई किमी पैदल चलकर गंगा घाटों तक पहुंच रहे हैं। चूंकि, हरकी पैडी पर सिर्फ अखाडों के संत ही स्नान कर रहे हैं, ऐसे में देर रात तक स्नान चलने की संभावना है।
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बिना रजिस्ट्रेशन, आरटीपीसआर जांच के हरिद्वार पहुंचे श्रद्धालु
शाही स्नान पर स्नान करने के लिए हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं को हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार कोरोना की एसओपी लागू करनी थी, जिसमें हरिद्वार आने से पहले रजिस्ट्रेशन कराना और 72 घंटे पहले की कोरोना आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट व मेडिकल सर्टिफिकेट साथ लेकर आना था। लेकिन, लचर व्यवस्था और प्रचार—प्रसार के अभाव में ये जानकारी मेला प्रशासन आम भक्तों तक पहुंचा नहीं पाया और श्रद्धालुओं का रैला बिना रजिस्ट्रेशन और आरटीपीसीआर के ही हरिद्वार की ओर चल पडा। हालांकि मेला प्रशासन दावा कर रहा है कि बार्डर पर बिना रजिस्ट्रेशन के करीब 2500 से अधिक वाहनों को वापस भेजा गया। लेकिन बावजूद इसके शाही स्नान पर 26 लाख से अधिक दोपहर तक श्रद्धालुओं का आंकडा बताता है कि मेला प्रशासन एसओपी लागू कराने में पूरी तरह नाकाम साबित हुआ है।
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कितनों ने कराया रजिस्ट्रेशन पता नहीं
वहीं जब शाही स्नान के लिए हरिद्वार आने से पहले रजिस्ट्रेशन कराने वालों की संख्या के बारे में मेला पुलिस से पूछा गया तो उन्होंने इस बारे में कोई जानकारी होने से इनकार कर दिया। मेला पीआरओ मनोज नेगी ने बताया कि इस बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। वहीं मेला प्रशासन को भी इनकी संख्या के बारे में कोई अनुमान नहीं था। मेला प्रशासन के पीआरओ मनोज कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि मुझे इस बारे में कुछ पता नहीं है। मेरा पूरा वक्त पास बनाने में चला गया, इसलिए इसके बारे में कौन जानकारी जुटा रहा है। मुझे पता नहीं है।
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25 हजार लोगोंं की हुई कोरोना जांच
वहीं जिला स्वास्थ्य विभाग के अनुसार बुधवार रात तक करीब 15 हजार लोगों की कोरोना जांच की गई। इनमें से चार लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। जबकि दस हजार से अधिक लोगों जांच गुरुवार सुबह को की गई। सीएमओ डा. शंभूनाथ झा ने बताया कि कोरोना टेस्ट लगातार किए जा रहे हैं और लोगों को सोशल डिस्टेसिंग और मास्क के नियमों का पालन करने के बारे में जागरुक किया जा रहा है।
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कुम्भ मेला कोई विधायक या सांसदों का कानूनी प्रशासनिक में नहीं है।
यह धार्मिक व भावना से ओतप्रोत मेला है इसलिए किसी भी यात्री को स्नान से रोकना असम्भव कार्य है।
जब चुनावी राजनैतिक रैली में किसी को रोकना सम्भव नहीं तो फिर तो यह जन मेला है।
कोई भी धार्मिक मेला हो उसे सरकार शासन प्रशासन चाहता है कि किसी भी तरह से मेला बिना परेशानी या घटना के शांति से निपट जाए ज्यादा अच्छा है या सिर्फ आदेशों के अनुपालन के चक्कर में सबकुछ उल्टा पुल्टा हो जाये औऱ गले का फंदा बनजाये।