रतनमणी डोभाल।
हाल ही में निरंजनी अखाडे़ के आचार्य महामंडलेश्वर बने दक्षिण काली मंदिर पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। वर्तमान आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी प्रज्ञानंद गिरी ने दावा किया है कि निरंजनी अखाड़े के वो ही आचार्य महामंडलेश्वर है और उन्होंने अपने पद से कोई इस्तीफा नहीं दिया है। वहीं स्वामी प्रज्ञानंद गिरी के सामने आने के बाद उपजे विवाद को संभालना ना तो निरंजनी अखाड़े और ना ही खुद स्वामी कैलाशानंद गिरी के लिए आसान होगा। वो भी तब जब अग्नि अखाड़े ने स्वामी कैलाशानंद गिरी के निरंजनी अखाड़े का आचार्य महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक होने से पहले संपत्ति विभाजन को लेकर आवाज बुलंद कर दी है। 14 जनवरी को स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज का पट्टाभिषेक होना है।
स्वामी प्रज्ञानंद गिरी महाराज ने साफ किया कि अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर को हटाया नहीं जा सकता है सिर्फ वो खुद ही अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। इस तरह से उन्हें हटाना ठीक नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें अखाड़े ने 2019 में आचार्य महामंडलेश्वर बनाया था और फिलहाल वो ही आचार्य महामंडलेश्वर है और भविष्य में भी वहीं रहेंगे। इसी मामले को लेकर स्वामी प्रज्ञानंद गिरी महाराज सात जनवरी को हरिद्वार आ रहे हैं। यहां वो संतों से मुलाकात करेंगे और बाद में पत्रकारों से भी बात कर अपना पक्ष रखेंगे।
उधर, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी भी गुरुवार को हरिद्वार पहुंच रहे हैं। जबकि अग्नि अखाड़े के संत संपत्ति विभाजन के मामले को लेकर लगातार बैठकें कर रहे हैं। कुल मिलाकर आने वाले कुछ दिन अखाड़ा परिषद और संतों के परिदृश्य से चर्चा भरे होने वाले हैं।
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