Madan Kaushik

हरिद्वार: क्या मदन कौशिक जन नेता बन गए हैं, क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार


चंद्रशेखर जोशी।
हरिद्वार में कांग्रेस सहित अपनी ही पार्टी के कई नेताओं की राजनीति खत्म करने वाले मदन कौशिक के जन्मदिन पर हरिद्वार में पहली बार उनके लंबे चौडे पोस्टर लगाकर उनकी छवि को जन नेता जैसा बनाने का प्रयास किया गया है। लेकिन बडा सवाल ये है कि क्या वाकई मदन कौशिक की छवि जन नेता की बन गई है, क्या मदन कौशिक का सम्मान हरिद्वार की जनता दिल से करती है या फिर साम—दाम, दंड—भेद वाली नीति के कारण हरिद्वार का कोई नेता उनके खिलाफ बोलने या खडा होने से कतराता है। मदन कौशिक की राजनीति पर लंबे समय से नजर रखने वाले पत्रकार क्या कहते हैं, आइये जानते हैं।

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युवा नेताओं के लिए किसी नजीर से कम नहीं है मदन कौशिक
अमर उजाला के हरिद्वार प्रभारी और वरिष्ठ पत्रकार राजेश शर्मा मदन कौशिक की राजनीति को युवा नेताओं के लिए एक मिसाल बताते हैं। उन्होंने बताया कि मदन कौशिक ने एक आम कार्यकर्ता के तौर अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था। उनके परिवार में भी कोई राजनीति में नहीं था। लेकिन, बडे संयम के साथ उन्होंने अपना करियर शुरू किया और 2007 के चुनाव में सबसे ज्यादा वोटों से चुनाव जीतने वाले विधायक बने और 2017 में भी उनका ये प्रदर्शन जारी रहा। मेरी नजर में वो एक सकारात्मक सोच वाले उर्जावान नेता हैं। जहां तक काम की बात हैं तो ऐसा भी नहीं है कि चार बार के उनके कार्यकाल में कुछ काम हुआ ही नहीं है। काम भी हुआ है और सबसे महत्वपूर्ण उनकी आम जनता तक आसान पहुंच के कारण वो इस मुकाम तक पहुंच पाए हैं। यही कारण है कि हरिद्वार ही नहीं देश—प्रदेश में उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है।

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file photo with BJP leader Vikas Tiwari

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मदन कौशिक जीते लेकिन कुछ चमत्कार नहीं कर पाए
वरिष्ठ पत्रकार आदेश त्यागी बताते हैं कि मदन कौशिक लगातार जीत दर्ज करते चले आ रहे हैं। वो दूसरी बार शहरी विकास मंत्री बने हैं। लेकिन 2019 से पहले तक वो हरिद्वार में कुछ नया नहीं कर पाए। अंडर ग्राउंड गैस पाइप लाइन और विद्युत लाइन को छोड दें तो मदन कौशिक की हरिद्वार को कोई बडी उपलब्धि नजर नहीं आती है। इन दोनों योजनाओं पर भी हरिद्वार की जनता यहां तक कि भाजपा के नेता खुद सवाल खडे कर रहे हैं। क्योंकि इन कार्यों की गुणवत्ता सवालों के घेरे में हैं और ये कितना सफल होगी ये भी देखने वाली बात होगी। जहां तक बात हैं तो एनडी तिवारी के कार्यकाल में हरिद्वार में बहुत कुछ मिला, लेकिन मदन कौशिक हरिद्वार के एक छत्र नेता होने के बाद भी कुछ करिश्माई नहीं कर पाए। चुनाव जीतना अलग बात होती है और लोगों के दिलों को जीतना अलग बात। लेकिन उनमें चुनाव जीतने और लोगों को अपने पाले में बनाए रखने की गजब की कला है।

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जन नेता ये ज्यादा मैनेजमेंट गुरु कहना ठीक रहेगा
दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार मेहताब आलम ने बताय कि मेरी नजर में मदन कौशिक की राजनीति प्रबंधन और पॉलिटिक्स का सटीक मिश्रण है। वो परंपरागत राजनीति के भरोसे नहीं रहे, बल्कि उन्होंने राजनीति में नए प्रयोग किए और वो सफल भी रहे। यही कारण है कि सिर्फ जातीय समीकरणों के भरोसे राजनीति करने वाले हरिद्वार के नेता हाशिये पर चले गए। वो साल भर अपने कार्यकर्ताओं को व्यस्त रखते हैं। कभी होली मिलन, कभी दीपावली मिलन और कभी जागरण तो कभी कथा। ये सब उनका मैनेजमेंट ही है। ये कहना गलत नहीं होगा कि उन्होंने अपना अलग संगठन खडा ​किया हुआ है। साथ ही उन्होंने अपनी एक छवि भी बनाई है जो जिम्मेदार नेताओं वाली है।विवादित बयानों के जरिए हल्की लोकप्रियता करने वाले नेताओं को उनसे सीख लेने की जरूरत है। उनका मैनेजमेंट सभी पार्टियों के लिए रिसर्च का विषय हो सकता है।
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मदन कौशिक अजय नहीं है उन्हें हराया जा सकता है
अमर उजाला के वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि डोभाल बताते हैं कि मदन कौशिक को उने समर्थक जन नेता कह सकते हैं लेकिन वो जिधर निकले जनता उनके पीछे निकल पडे ऐसी उनकी छवि नहीं है। असल में वो हरिद्वार के हर नेता, व्यापारी, पत्रकार और कथित समाज सेवियों की कुंडली जानते हैं। वो जानते हैं कि सामने वाला क्या चाहता है और उसे क्या देना है। वो एक अनुभवी नेता है। यही कारण है कि कांग्रेस के कई नेता चुनाव में उनकी मदद करते नजर आ जाते हैं। ऐसा भी नहीं है कि मदन कौशिक को हराया नहीं जा सकता है। उन पर कई गंभीर आरोप भी लगते रहे हैं लेकिन हरिद्वार में अभी तक कोई उनसे सवाल पूछने वाला नहीं है, जिस दिन कोई सवाल पूछने वाला और हिसाब मांगने वाला हिम्मत दिखाएगा, उस दिन उनका मैनेजमेंट धरायशी हो जाएगा। फिलहाल तो वो हरिद्वार के सिंकदर हैं।

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