पीसी जोशी।
कुंभ मेला हरिद्वार के पहले दिन बैरागी कैंप में अव्यवस्था को लेकर बैरागी संतों की कथित तौर पर अपर मेलाधिकारी हरबीर सिंह की पिटाई की वजह के पीछे बिजली की बाधित आपूर्ति कारण थी। बिजली ना होने के कारण निर्मोही अखाडे के महंत राजेंद्र दास नाराज थे और कई मेला अफसरों से बात करने के बाद भी हल ना निकलने के बाद उन्होंने अपर मेलाधिकारी हरवीर सिंह को फोन मिलाकर बैरागी कैंप आने के लिए कहा था।
अपने व्यवहार की तरह ही अपर मेलाधिकारी हरवीर सिंह तुरंत समस्या का हल करने के लिए बैरागी कैंप पहुंच गए, जबकि यहां व्यवस्था की जिम्मेदारी दूसरे अपर मेलाधिकारी मनीष सिंह व प्रत्युष सिंह को दी गई थी। रात करीब साढे सात बजे के करीब हरवीर सिंह बैरागी कैंप पहुंचे तो वहां महंत राजेंद्र दास ने बिजली की समस्या को विरोध दर्ज कराया। महंत राजेंद्र दास ने कहा कि बिजली की समस्या अभी तक हल नहीं हुई और आपके बस का नहीं है तो किसी ओर को तैनात कर दो।
बात आगे बढी तो बैरागी संत का गुस्सा देख दूसरे बैरागी संत भी वहां पहुंच गए और देखते ही देखते मारपीट शुरु हो गई। इस बीच उनके सुरक्षागार्ड ने हरवीर सिंह को बचाने का प्रयास किया तो उनके साथ भी मारपीट हुई और उन्हें मिर्गी का दौरा पड गया और सिपाही मौके पर ही बेहोश हो गया।
हालांकि अंधेरे का फायदा उठाकर जब हरवीर सिंह को पीटा जा रहा था तब खुद महंत राजेंद्र दास ने पीटने वालों को बुरा भला कहकर किसी तरह दूर करने का प्रयास किया। इसी बीच किसी ने बाहर तैनात पुलिस को वहां बुलाया और हरवीर सिंह को बचाया जा सका। इस बीच हरवीर सिंह फफक पडे। बाद में उन्होंने किसी तरह खुद को संभाला।
घटना के बाद आला अधिकारी मौके पर पहुंचे। हालांकि पहले तो सीनियर अधिकारी सीधे मुकदमा दर्ज करने की बात पर अडे थे लेकिन बाद में संतों के ढीले पडते तेवर के आगे पुलिस के आला अफसर वार्ता को तैयार हुए।
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अखाडा परिषद बोली होगी कार्रवाई
वहीं अखाडा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने बताया कि इस मामले में शुक्रवार को बैरागी अखाडे की मीटिंग बुलाई जाएगी। इसमें निर्मोही अखाडे को नहीं बुलाया जाएगा और इसमें निर्मोही अखाडे के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उनहोंने कहा कि मारपीट करना संतों का काम नहीं है। ये घटना बहुत निंदनीय है।
यह कृत्य संत परंपरा और उसके महत्व पर कलंक है।
संत वही है जो विपरित परिस्थितियों का सामना करके परमात्मा की भक्ति में लीन रहता है।
न्यायात पथम प्रबिचलंती पद्म न धीरा
गुंडों को सुविधा ना दी जाए बल्कि हरिद्वार से बाहर बताया जाए