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शांति की तलाश ब्राजील से ऋषिकेश पहुंचा विदेशी दल

ब्यूरो।
परमार्थ निकेतन में ब्राजील से डाॅ हुगे के मार्गदर्शन में 20 सदस्यों का दल आया उन्होने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज और जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी से भेंट कर भारतीय संस्कृति, आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा और शाकाहार के विषय में विस्तार से चर्चा की।
चर्चा के दौरान स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि 10 अक्टूबर को ’विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस’ है। आज की भागदौेड़ भरी जिन्दगी में मानसिक तौर पर स्वस्थ रहना नितांत आवश्यक है परन्तु अक्सर लोग मानसिक समस्याओं को नजरअंदाज कर देते है। उन्होनेे कहा कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिये शाकाहार और दिमाग को स्वस्थ और तनाव मुक्त रखने के लिये ध्यान सबसे उपयुक्त माध्यम है। स्वामी जी ने कहा कि ’’मेडिटेशन आॅन-मेंटल डिसाआॅर्डर गाॅन’’जीवन में ध्यान का समावेश करे तो मानसिक समस्याओं का समाधान अपने आप हो जायेगा। 24 घन्टे में 23 घन्टे बाहर दुनिया को दे परन्तु केवल 1 घन्टा अपने आप को जरूर दें। केवल 1 घन्टा ध्यान में जाने पर भी हम अपने आप को मानसिक तौर पर स्वस्थ और प्रसन्नचित रख सकते है।
डाॅ हुगे आयुर्वेदाचार्य है उन्होने ब्राजील में भारतीय आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति, प्राकृतिक चिकित्सा और पंचकर्म की स्थापना की। इस सेंटर के निर्माण और संचालन में परमार्थ निकेतन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। डाॅ हुगे अपने दल के साथ परमार्थ निकेतन आये और उन्होने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में सनातन संस्कृति, भारतीय अध्यात्म, दर्शन और संस्कारों के सम्बंध में जानकारी प्राप्त की। यह दल विगत कई वर्षो से परमार्थ निकेतन में आ रहा है तथा ध्यान और योग की विभिन्न विधाओं के बारे जानकारी प्राप्त कर उसें विश्व के अनेक देशों में प्रसारित करता है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि ’योग और आयुर्वेद जीवन को जाग्रत और जीवंत बनाता है। इस समय दुनिया में एक ऐसी क्रान्ति की जरूरत है जिसके माध्यम से योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक जीवन पद्धति दुनिया के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचे। उन्होने कहा कि दुनिया मंे अनेक क्रान्तियाँ हुई परन्तु आज के युवाओं को मिलकर और एक क्रान्ति करना है वह क्रान्ति है ’पर्यावरण और जल संरक्षण’ की। आज के युवाओं को पर्यावरण ंिचंतक बनना होगा; पर्यावरण क्रान्तिकारी; प्रकृति के पहरेदार बनना होगा। प्रदूषित होता पर्यावरण एक वैश्विक समस्या है तो समाधान भी वैश्विक बन्धुत्व के साथ ही खोजना होगा; सब मिलकर इस ओर चिंतन करें, शाकाहार को अपनाये तो बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकते है।’

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने ब्राजील से आये दल को ध्यान के विषय में समझाते हुये कहा कि जब हमारे अन्दर न तो कोई विचार, न स्मृति और न मन की गति हो वहीं ध्यान है। ध्यान तो जीवन की वह अवस्था है जहां पर सब शुन्य हो जाता है। ध्यान में मन खाली हो जाता है, दपर्ण हो जाता है और फिर प्रभु से एकाकार हो जाता है। उन्होने कहा कि ध्यान में बैठने की जरूरत नहीं है ध्यान में होने की जरूरत है जिस प्रकार रोज के कार्यो को करते हुये हम अन्दर ही अन्दर अनेक विचारों में उलझे होते है उन सब विचारों को बाहर कर मन को स्थिर कर विचार शुन्य होना ही ध्यान है। माँ गंगा हमें यही शिक्षा देती है कि जीवन में कुछ भी हो चाहे दुख या फिर सुख हमेशा समान गति से क्रियाशिल होना ही ध्यान है।
डाॅ हुगे ने कहा कि माँ गंगा का जल हर पल नवीनता, शान्ति और सतत गतिशील होने का संदेश देता है। डाॅ हुगे और दल के सदस्यों ने स्वामी जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के मार्गदर्शन में विश्व स्तर पर शुद्ध जल की आपूर्ति हेतु विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया। सभी ने माँ गंगा के तट पर होने वाली दिव्य आरती में सहभाग किया।

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