ब्यूरो।
उत्तराखण्ड में समूह ग के पदों पर प्रदेश के सेवायोजन कार्यालयों में पंजीकरण की बाध्यता समाप्त करने के हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार एक्शन में आ गई है। अदालत के आदेश का अवलोकन करने के बाद राज्य सरकार ने इसे चुनौती देने का निर्णय लिया है। साथ ही इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पेटीशन दाखिल की जाएगी।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सरकार राज्य के युवाओं के हितों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट में एस.एल.पी दाखिल करेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में है। राज्य के युवाओं के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।
आपको बता दें कि स्पेशल लीव पेटीशन को सुनने का अधिकार हाईकोर्ट या किसी ट्रिब्यूनल के फैसले पर संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत सुप्रीम कोर्ट के पास है। इसमें कोई भी पीडित पक्ष सुप्रीम कोर्ट में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दे सकता है। जबकि पीडित पक्ष के साथ अन्याय हुआ हो या फिर ये रूल आॅफ लॉ से जुडा मामला हो।
आपको बता दें कि हाईकोर्ट ने हाल ही में अपने फैसले में राज्य के युवाओं को झटका देते हुए समूह ग भर्ती में प्रदेश के सेवायोजन कार्यालयों में पंजीकरण की बाध्यता को समाप्त कर दिया था। इसके खिलाफ ही सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में स्पेशल लीव पेटीशन डालने का निर्णय लिया है।
समूह’ग’ भर्ती: राज्य के युवाओं के लिए हाईकोर्ट के फैसले पर इस नियम का सहारा लेगी सरकार
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