चंद्रशेखर जोशी।
महारत्न कंपनी बीएचईएल के बुरे दिन जाने का नाम नहीं ले रहे हैं। काम की कमी और लाभांश में गिरावट के चलते बीएचईएल हरिद्वार प्लांट ने सीएसआर के तहत चल रहे अपने नौ स्कूलों में से सात को बंद कर दिया है। यही नहीं बाकी बचे दो स्कूलों को भी बंद करने की तैयारी है। पिछले काफी सालों से अध्यापकों की भर्ती नहीं हुई है, इससे साफ जाहिर है कि बाकी बचे दो स्कूलों को बंद करने का ऐलान कभी भी किया जा सकता है।
भेल की स्थापना 1962 में हुई थी और इसके साथ ही हरिद्वार में नौ स्कूलों की स्थापना की गर्इ थी। इन स्कूलों में भेल श्रमिकों के अलावा आस—पास के इलाकों के बच्चे भी बडी संख्या में पढते थे। लेकिन समय बीतने के साथ ही कंपनी ने इन स्कूलों पर ध्यान देना बंद कर दिया और हालात ये हुई कि आज नौ में से सात स्कूलों को बंद कर दिया गया है।
इनमें प्रमुख रूप से बाल भारती स्कूल सेक्टर चार, विद्या मंदिर सेक्टर वन, बाल भवन, ज्ञानदीप आदि प्रमुख हैं। फिलहाल विद्या मंदिर सेक्टर पांच और बाल मंदिर सेक्टर वन ही चल रहे हैं। ये भी कभी भी बंद हो सकते हैं।
शिक्षिका सुदेश आर्य ने बताया कि बीएचईएल ने काफी समय से शिक्षकों की भर्ती नहीं की है। हमें भी अपने आवास छोडने के लिए कहा जा रहा है। इससे साफ जाहिर है कि जल्द ही इन दो स्कूलों पर भी ताला जडा सकता है। बाल भारती और विद्या मंदिर तो पिछले पांच सालों में ही बंद हुए हैं, ये दोनों स्कूल प्रमुख थे।
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क्या कहते हैं श्रमिक नेता
भेल मजदूर कल्याण परिषद के अध्यक्ष राजबीर सिंह चौहान ने बताया कि भेल प्रबंधन के सामने इस बात को उठाया गया। लेकिन प्रबंधन बजट का रोना रो रहा है। कंपनी अपने खर्चों को कम कर रही है। फंड ना होने के कारण ही इन स्कूलों को बंद किया गया है।
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क्या कहते हैं अधिकारी
भेल के जीएम एचआर संजय सिन्हा ने बताया कि इन स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया गया है। चूंकि अब बच्चे नहीं आ रहे हैं। बच्चों की कमी के कारण ही ऐसा हो रहा है। हालांकि, बजट वाले सवाल से वो बचते नजर आए।