राजनीति छोड़ धर्मगुरु बन गए युवा नेता
रतनमणी डोभाल।
अक्सर धर्मगुरु राजनीति में आने का प्रयास करते हैं लेकिन हरिद्वार के युवा और तेजतर्रार नेता ने राजनीति को अलविदा कहकर धर्मगुरु बनने का रास्ता चुना। शुरुआती राजनीति में ये कांग्रेस से जुडे रहे और कांग्रेस के सीनियर नेताओं से अच्छे संबंध होने के कारण उन्हें कई राज्यों में अहम जिम्मेदारियां भी निभाने को मिली। लेकिन कुछ समय पहले वो कांग्रेस को छोड भाजपा के दूसरे नेताओं के संपर्क में आए। लेकिन राजनीति से मोहभंग होने के बाद फाइनली राजनीति छोड़ धर्मगुरु बन गए युवा नेता ने धर्म का रास्ता अपनाया।
रामविशाल देव से बन गए आत्मयोगी देवजी महाराज
हम बात कर रहे हैं कि राम विशाल देव की जो अब आत्मयोगी देवजी महाराज बन गए हैं। हालांकि राजनीति के समय से वो योग और अध्यात्म की बातें करते थे। लेकिन धीरे धीरे उन्होंने खुद को पहचानने का प्रयास किया और अब उन्होंने अपना नाम बदलकर आत्मयोगी देवजी महाराज कर लिया है। राजनीति छोड़ धर्मगुरु बन गए युवा नेता
उन्होंने धर्म प्रसार और सामाजिक कुरीतियों को मिटाने का संकल्प लिया है। इसमें भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति भी उनका एक लक्ष्य है। आत्मयोगी देवजी महाराज वेदों के ज्ञान को आगे बढाने का काम कर रहे हैं।
हरिद्वार के बिल्केश्वर रोड में बनाया आश्रम
आत्मयोगी देवजी महाराज ने हिलबाई पास पर बिल्केश्वर रोड के पास निर्मला छावनी के मैदान में अपना आश्रम बनाया है। यहां उन्होंने यज्ञशाला आदि की स्थापना की है। आत्मयोगी देवजी महाराज ने कहा कि आज हमें योग और अध्यात्म की सबसे ज्यादा आवश्यकता है। क्योंकि जिंदगी की भागदौड में इंसान खुद के बारे में नहीं सोच रहा है।
इसलिए मानसिक अवसाद और हाइपरटेंशन जैसे रोगों से ग्रसित हो गया है। इससे छुटकारा दिलाने के लिए योग और अध्यात्म के लिए काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार मुक्त समाज और राजनीति को कायम करने के उद्देश्य से धर्म की राह पर चलकर मजबूत भारत के निर्माण में योगदान देना ही उनका एक मात्र लक्ष्य है।
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