हरिद्वार लोकसभा प्रत्याशी और खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने हरीश रावत और उनके बेटे विरेंद्र रावत पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि हरीश रावत परिवार ने मुसलमानों को हमेशा धोखा दिया है। मुलसमानों के वोट तो लिए लेकिन कभी उनके मुद्दें नहीं उठाए, उनकी समस्याओं को हल नहीं किया। यहां तक कि उन्हें राजनीतिक तौर पर हाशिये पर डाल दिया। आज हालात ये कर दिए कि हरीश रावत परिवार मुसलमानों के वोट तो चाहता है लेकिन उन्हें पास लगाना नहीं चाहता। इस डर से कि कहीं दूसरे लोग नाराज ना हो जाए। हरीश एंड फैमिली ने हरिद्वार के लोगों को ठगने का काम किया है।
वोट लेकर हार का ठीकरा भी मुसलमानों पर फोड़ते हैं
उमेश कुमार ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में कॉंग्रेस की हार के बाद हरीश रावत ने हार का पूरा ठीकरा अपनी खामियों के बजाए मुस्लिम यूनिवर्सिटी वाली कहानी पर फोड़ दिया था। हरीश रावत ने कहा था कि उन्होंने मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने का बयान नही दिया था। हरीश रावत का मानना था कि इस बयान के कारण कॉंग्रेस चुनाव हारी थी। जबकि सच ये था कि हरीश रावत की मनमानी के कारण कॉंग्रेस चुनाव नहीं जीत पाई थी।
उमेश कुमार ने कहा कि इसमें क्या गलत है कि अल्पसंख्यक समाज अपनी शिक्षा और तरक्की की बात कर रहा है। क्या समाज की लड़कियों के लिए इंटर कॉलेज नहीं होना चाहिए। क्या मुस्लिम और बहुजन समाज के इलाकों में अच्छे स्कूलों की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए। क्या मुस्लिम और बहुजन समाज अपने लिए संविधान के दायरे में रहकर अच्छे शैक्षणिक संस्थाओं की मांग नहीं कर सकता है।
लेकिन हरीश रावत और दूसरे कॉंग्रेसी नेताओं को मुसलमानों का तालीम हासिल करना पसंद नहीं है। क्योंकि मुस्लिम पढ़लिख लेंगे तो हरीश रावत से सवाल पूछेंगे कि हमारे वोट लिए लेकिन हमारे लिये आपने करा क्या है। क्यों हमें मंच पर जगह नहीं दी जाती, क्यों हमें राजनीतिक अछूत बनाकर हमारे वोटों की फसल काटी जा रही है। लेकिन हरीश रावत परिवार को सवाल पसंद नहीं है, क्योंकि उनके पास जवाब देने के लिए कुछ नहीं है।
हमने बिना भेदभाव के काम किया है
उमेश कुमार ने कहा कि विधायक के तौर पर उन्होंने बिना भेदभाव के सभी वर्गों का काम किया है। निर्धन परिवारों की शादियों में सबसे ज्यादा अल्पसंख्यक, बहुजन और ओबीसी वर्ग के परिवारों की बेटियों की शादियां कराई। हमने ये नहीं सोचा कि कोई दूसरा नाराज होगा या खुश। जो जरुरतमंद था उसके लिए खड़े हुए। दिन हो या रात चौबीस घंटे मेरे कार्यालय पर समस्याएं सुनी जाती हैं। हरिद्वार की जनता को वो दिन भी याद हैं जब 2014 में हरीश रावत ने पत्नी रेणुका रावत की हार के बाद हरिद्वार के लोगों से सौतेला व्यवहार किया था।
हरीश रावत ने हमेशा हरिद्वार की जनता पर अपने परिवार को थोपा है। इस बार अपने बेटे को लेकर आ गए। क्या कॉंग्रेस में विरेंद्र रावत से बड़ा कार्यकर्ता कोई नहीं था। हरीश रावत ने हमेशा कॉंग्रेस से ज्यादा अपने परिवार को तरजीह दी है और इस बार भी भाजपा के पैराशूट प्रत्याशी त्रिवेंद्र रावत से फैंडली मैच खेला जा रहा है। ताकि बाद में मुसलमानों और हरिद्वार की जनता पर हार का ठीकरा फोड़ा जा सके। लेकिन जनता इस चुनाव में कॉंग्रेस के परिवारवाद और भाजपा के पैराशूट प्रत्याशी को सबक सिखाएगी।
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