विकास कुमार।
मकर संक्रांति स्नान पर्व पर कुंभ पुलिस के दावे के मुताबिक सात लाख 13 हजार यात्रियों ने शाम की गंगा आरती तक सात लाख यात्रियों ने गंगा स्नान किया। लेकिन, रेलवे ने जो आंकड़े जारी किए उसके मुताबिक स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 4356 है जबकि हरिद्वार से जाने वालों की संख्या 4723 है। इसके लिए रेलवे से 18 जोडी ट्रेनें संचालित की थी। वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े भी अलग है।
स्वास्थ्य विभाग की बीस टीमों ने हरिद्वार हरकी पैडी क्षेत्र, रेलवे स्टेशन और बार्डर पर करीब 42 हजार लोगों की स्क्रीनिंग की। इनमें से करीब 37 हजार की थर्मल स्क्रीनिंग की गई। जबकि चार हजार से अधिक लोगों की रेपिड एंटीजन टेस्टिंग की गई। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि उसने यथा संभव श्रद्धालुओं की स्क्रीनिंग की है।
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संसाधनों की कमी
पुलिस के मुताबिक सात लाख से अधिक यात्री आरती के वक्त तक आ चुके थे। लेकिन स्वास्थ्य विभाग इन सात लाख में से महज 42 हजार की ही स्क्रीनिंग और एंटीजन जांच हो पाई। स्वास्थ्य विभाग के नोडल अफसर डा. एचडी शाक्य ने बताया कि बार्डर पर अधिकतर एंटीजन टेस्टिंग की गई है, इनमें से तीन लोगों को लक्षणों के बाद टेस्टिंग की गई तो कोरोना पाजिटिव होने की पुष्टि हुई। तीनों को वापस उनके जिले में भेज दिया गया और संबंधित जिलों के प्रशासन को भी अवगत करा दिया गया है।
लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर इतने कम लोगों की स्क्रीनिंग की गई है, क्या स्वास्थ्य विभाग के पास संसाधनों की कमी है या फिर पूरे तरीके से स्क्रीनिंग या टेस्टिंग नही हो पा रही है। वरिष्ठ पत्रकार आदेश त्यागी बताते हैं कि स्नान पर्वों पर आमतौर पर वास्तविक संख्या से अधिक श्रद्धालुओं के आने का दावा किया जाता रहा है। इसमें कोई नई बात नहीं है। रेलवे के आंकडे और स्वास्थ्य विभाग की स्क्रीनिंग के आंकडे चौंकाने वाले है। या तो श्रद्धालुओं के आंकडें को इस बार भी बढाकर बताया गया है या फिर स्वास्थ्य विभाग स्क्रीनिंग अच्छे तरीके से नहीं कर पाया है या फिर टीमों की तैनाती कम की गई है। हालांकि सौ प्रतिशत लक्ष्य को हासिल कर पाना आसान काम नहीं है फिर भी हम पचास प्रतिशत तक तक पहुंच ही सकते हैं। लेकिन यहां आंकडा बेहद कम है जो मेला प्रशासन के लिए एक बडा सवाल है।