विकास कुमार।
हरिद्वार की ज्वालापुर विधानसभा से भाजपा विधायक सुरेश राठौर पर रेप जैसे गंभीर आरोप लगाने वाली भाजपा नेत्री पर क्या केस वापसी के लिए दबाव बनाया गया ज रहा है। यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि पुलिस ने पीड़िता के जिन बयानों को आधार मानकर कोर्ट के सम्मुख रेप के आरोपों के संबंध में क्लोजर रिपोर्ट लगाई थी उसे कोर्ट में मानने से साफ इंकार कर दिया था। यही नहीं कोर्ट ने पीड़िता भाजपा नेत्री को कोर्ट के सम्मुख बुलाया था और उससे क्लोजर रिपोर्ट के समर्थन में दिए गए शपथ पत्र के बारे में भी पूछा था।
जिस पर पीड़िता ने यह कहते हुए अनभिज्ञता जताई थी की शपथ पत्र में क्या लिखा है वो नहीं जानती है और ना ही शपथ पत्र को उसे पढ़कर सुनाया गया है। यही नहीं इससे पूर्व भी कोर्ट के सामने पीड़िता ने शपथ पत्र को लेकर शंका जाहिर की थी। जिसके बाद सीजीएम कोर्ट ने पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने से साफ इंकार करते हुए विवेचक पर कड़ी टिप्पणी की थी। विवेचक को कहा था रिपोर्ट मशीनीकृत रूप से संपादित की गई है।
ये इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पीड़िता अपने 161 और 164 के बयानों में कह चुकी है कि भाजपा विधायक सुरेश राठौर ने उसका यौन शोषण किया और उसको डराया धमकाया। लेकिन बाद में पीड़िता के जिस तरह से बयान आ रहे हैं उससे लगता है कि पीड़िता पर कोई दबाव है। जिसकी जांच पुलिस को निष्पक्ष तौर पर करनी चाहिए। हालांकि पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है फिर भी बड़ा सवाल यह है कि आखिर पीड़िता पर किस तरह का दबाव है, क्या वह किसी दबाव में है या फिर उस पर दबाव बनाया जा रहा है और दबाव बना रहा है तो कौन इसके पीछे हैं।
जब तक इन सवालों का जवाब नहीं मिल जाता तब तक भाजपा विधायक सुरेश राठौर को क्लीन चिट नहीं दी जा सकती है। वहीं इस मामले में ज्वालापुर सीट से आम आदमी पार्टी की महिला प्रत्याशी ममता सिंह ने भाजपा विधायक पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जिस तरीके से महिला का यौन उत्पीड़न किया गया वह बहुत गंभीर अपराध है। और भाजपा ने ऐसे लोगों को टिकट देकर अपनी कथनी और करनी में साफ अंतर बता दिया है। उन्होंने कहा कि महिला पर अब दबाव बनाया जा रहा है जिसकी जांच की जानी चाहिए। ज्वालापुर की जनता मां बहने और बेटियां इसका बदला जरूर लेंगी। वहीं कांग्रेस के बड़े नेता एसपी सिंह इंजीनियर ने कहा कि मामला बेहद गंभीर है और अगर महिला पर दबाव बनाने की बात सामने आ रही है तो इसकी जांच होनी चाहिए कि आखिर महिला पर कौन दबाव बना रहा है। जब कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने से मना कर दिया तो फिर पुलिस पूरे मामले की सही से जांच क्यों नहीं कर रही है। हम इस मुद्दे को जनता के बीच लेकर जाएंगे।
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