IPS Vimla Gunjyal जहां पंचायत चुनावों में नामांकन की होड़ और सियासी गहमागहमी चरम पर है, वहीं उत्तराखंड के दो गांवों गुंजी और बिरगण ने लोकतंत्र की नई मिसाल पेश की है। इन गांवों में ग्रामीणों ने बिना चुनावी टकराव के ऐसे लोगों को ग्राम प्रधान चुना, जिनका जीवन सेवा, ईमानदारी और समर्पण से भरा रहा है।
पिथौरागढ़ जिले के गुंजी गांव में ग्रामीणों ने सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी और पूर्व आईजी विमला गुज्याल को निर्विरोध ग्राम प्रधान चुना, जबकि पौड़ी गढ़वाल के बिरगण गांव में रिटायर्ड कर्नल यशपाल सिंह नेगी निर्विरोध ग्राम प्रधान बने। यह निर्णय केवल गांवों की समझदारी का प्रतीक नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ी सीख है कि सही नेतृत्व से गांवों की तस्वीर बदली जा सकती है।
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नामांकन का आंकड़ा पार, लेकिन गांवों ने दिया शांतिपूर्ण संदेश
प्रदेशभर में पंचायत चुनावों में अब तक 66,418 पदों के लिए 32,239 नामांकन भरे जा चुके हैं, मगर इन गांवों ने आपसी एकता से नेतृत्व चुना, जिससे चुनावी खर्च और गुटबाजी से बचाव हुआ।
सेवा का संकल्प
विमला गुज्याल— उत्तराखंड की पहली महिला जेल अधीक्षक, जिन्होंने महिला सशक्तीकरण और जेल सुधार में बड़ा योगदान दिया। कर्नल यशपाल सिंह नेगी— सेना से सेवानिवृत्ति के बाद गांव लौटकर खेती-बागवानी व समाजसेवा में जुटे, बंजर जमीन को उपजाऊ बना चुके हैं।
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कानूनी प्रक्रिया में भी पूरी तरह वैध
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 53(2) के अनुसार, यदि किसी पद पर केवल एक प्रत्याशी नामांकन करता है, तो उसे निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया जाता है।
उत्तराखंड के इन गांवों ने यह दिखाया कि लोकतंत्र केवल वोट डालने तक सीमित नहीं, बल्कि आपसी सहमति से बेहतर नेतृत्व चुनना भी इसका अहम हिस्सा है।
ग्रामीणों का संदेश
ग्रामीणों ने कहा कि उनका उद्देश्य सिर्फ गांव का विकास है, न कि चुनावी झगड़े। यही वजह है कि उन्होंने अनुभव और सेवा भावना को तरजीह दी।