रतनमणी डोभाल/विकास कुमार।
उत्तराखण्ड की सियासत में चंपावत उपचुनाव के अलावा इन दिनों पिता—पुत्र की ‘सोशल वॉर’ चचाओं में हैं। पूर्व सीएम हरीश रावत पर उनके ही पुत्र आनंद रावत ने बातों ही बातों में निशाना साधते हुए लंबी पोस्ट लिखी तो पिता ने भी उसका जवाब देते हुए अपनी पीड़ा जाहिर की और इशारों में ही सही एक बार फिर बता दिया कि वो आनंद रावत के लिए कुछ नहीं कर सकते और हालात और समय ही अगर कुछ पाएगा तो हो जाएगा। वहीं पिता—पुत्र की इस सोशल वॉर पर वरिष्ठ पत्रकारों का क्या कहना है। harish rawat and anand rawat war on social media in uttarakhand
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आनंद रावत की टीस फेसबुक के जरिए बाहर आई है
वरिष्ठ पत्रकार अवनीश प्रेमी ने बताया कि राष्ट्रीय और राज्य की राजनीति में एकछत्र राज करने वाले हरीश रावत अपने पुत्रों खासतौर पर आनंद रावत की कोई मदद नहीं कर पाए। केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री रहने के बावजूद भी आनंद रावत, विरेंद्र रावत हाशिये पर ही रहे। हालांकि, 2022 में अपने आखिरी मौके को देखते हुए उन्होंने अनुपमा रावत को विधायक बनवा दिया लेकिन आनंद रावत और विरेंद्र रावत मुंह तकते रह गए। आनंद रावत यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे लेकिन अभी तक विधायक नहीं बन पाए। हालांकि वो सोशल स्तर पर काफी एक्टिव है और काम कर रहे हैं। लेकिन, आनंद रावत की टीस कहीं ना कहीं शब्दों के जरिए बाहर आ ही गई। हालांकि वो अपने पिता पर बहुत ज्यादा कटाक्ष नहीं कर पाए लेकिन फिर भी जिस तरह से हरीश रावत अपने शब्दों से सबकुछ एहसास करा देते रहे हैं ऐसे ही आनंद रावत भी करा गए। लेकिन उससे भी बडी बात ये है कि हरीश रावत ने भी जवाबी पोस्ट में ये साफ कर दिया कि वो अब आनंद रावत के लिए कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं है और समय ही उनके साथ न्याय कर सकता है। वरिष्ठ पत्रकार राव शफात अली ने बताया कि आनंद रावत काफी समय से राजनीति और सामाजिक क्षेत्र में काम कर रहे हैं। लेकिन आनंद रावत को उतना मीडिया अटेंशन नहीं मिल पाया। हरीश रावत सोशल मीडिया के किंग हैं तो आनंद रावत का ये पिता पर कमेंट मीडिया अटेंशन का भी एक जरिया हो सकता है। क्योंकि हाल फिलहाल में राजनीति में कुछ करने के लिए नहीं है सिवाय मीडिया के सामने अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के अलावा।