विकास कुमार।
हरिद्वार जनपद के भाजपा के दलित विधायक सुरेश राठौर को निरंजनी अखाड़े ने महामंडलेश्वर बनाने के फैसले को निरस्त कर दिया है। पहले निरंजनी अखाड़े ने सुरेश राठौर को नागा संन्यासियों का महामंडलेश्वर बनाने का एलान किया था लेकिन अब निरंजनी अखाड़ा अपनी घोषणा से पीछे हट गया है। निरंजनी अखाड़े के वरिष्ठ महंत नरेंद्र गिरी जो अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष भी है उन्होंने बताया कि भाजपा विधायक सुरेश राठौर को निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाने का फैसला लिया गया था।
लेकिन यह शर्त भी रखी गई थी कि सुरेश राठौर सन्यास ग्रहण करेंगे लेकिन बाद में उन्होंने सन्यास दीक्षा लेने से साफ इनकार कर दिया। जिसके बाद उन्हें महामंडलेश्वर नहीं बनाया जाएगा क्योंकि सन्यासी अखाड़े में महामंडलेश्वर सिर्फ उसी को बनाया जाता है जो सन्यास दीक्षा लेता है और घर परिवार से रिश्ता तोड़ता है। गृहस्थ को नागा संन्यासियों का महामंडलेश्वर नहीं बनाया जाता गौरतलब है कि सुरेश राठोर शादीशुदा है और उनके तीन बच्चे भी हैं इस फैसले का विरोध शारदा पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने भी किया था।
साथ ही मातृ सदन के प्रमुख स्वामी शिवानंद सरस्वती ने भी इस फैसले को गलत बताते हुए कोर्ट जाने की चेतावनी दी थी। वहीं भाजपा विधायक सुरेश राठौड़ ने कहा कि मुझे निरंजनी अखाड़े के इस फैसले का ज्ञान नहीं है। मुझे निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाने का फैसला लिया गया है। मेरे समर्थक खुश है और हमने पेशवाई भी निकाली थी यह सच है कि कुछ संत इस फैसले से नाराज हैं लेकिन मुझे आशा है कि मिल बैठकर समस्या का समाधान कर लिया जाएगा और जल्द ही मैं निरंजनी अखाड़े का महाबलेश्वर बन पाऊंगा। भाजपा विधायक सुरेश राठोर दलित समाज से आते हैं और ज्वालापुर विधानसभा से विधायक हैं यही नहीं वह रविदासाचार्य भी है और बतौर रविदासाचार्य देश के अलग-अलग इलाकों में जाकर रविदास कथा का पाठ भी करते हैं।