चंद्रशेखर जोशी।
लगभग पांच साल पहले सात जनवरी 2013 को पूरे उत्तराखण्ड को झकझोरने वाली रेप और हत्या के मामले में आज तक आरोपियों का सुराग नहीं लग पाया है। पहले स्थानीय पुलिस और फिर आला अधिकारियों ने मामले की जांच की लेकिन फेल होने के बाद मामला 2015 में सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया। तीन साल की लंबी जांच के बाद भी सीबीआई के हाथ कुछ नहीं लग पाया। जबकि सीबीआई ने इस मामले में अब तक हजारों लोगों के डीएनए सैंपल लेकर जांच कराई। लेकिन कुछ भी हासिल नहीं हुआ। अभी भी इस मामले की जांच चल रही है।
हम बात कर रहे हैं हरिद्वार के कनखल थाना क्षेत्र के फेरुपुर गांव में 13 साल की मासूम की रेप और हत्या के मामले की है। खेत में शौच के लिए गई मासूम का शव सात जनवरी 2013 की सुबह पुलिस चौकी से कुछ दूरी पर खेत में नग्न अवस्था में मिला था। मासूस की हत्या और रेप की घटना से पूरा उत्तराखण्ड उबाल खा गया था और दिल्ली की निर्भया की तरह ही इस मामले में भी जनता सडकों पर उतर आई और मामले के खुलासे के लिए आला अधिकारियों ने हरिद्वार में डेरा डाल दिया था। लेकिन दो साल की जांच के बाद उनके हाथ कुछ नहीं लगा। जबकि पुलिस रोजाना दावे कर रही थी कि खुलासा अब हो जाएगा और हो गया बस समझ लीजिए।
हरिद्वार के वरिष्ठ क्राइम रिपोर्टर कुनाल दरगन बताते हैं फेरुपुर कांड को उत्तराखण्ड की सबसे बडी मर्डर मिस्ट्री कहना गलत ना होगा। तब के तेज तर्रार अधिकारियों ने इसकी जांच की लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। बाद में इसे 2015 में सीबीआई को सौंप दिया गया। कुणाल बताते हैं कि सीबीआई ने कई दिनों तक इसकी जांच की और परिजनों से लेकर परिचितों और गांव के लगभग सभी लोगों के डीएनए सैंपल लिए। लेकिन आज तक सीबीआई भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है। हालांकि सीबीआई अभी भी एक अदद सुराग की तलाश में है। हालांकि पीडिता के परिजन आज भी अपनी बच्ची को इंसाफ दिलाने की बाट जोह रहे हैं।
सीबीआई इस साल भी सुलझा ना पाई उत्तराखण्ड की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री, पढिए क्या हुआ
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