विकास कुमार।
ब्राह्मण एकता परिषद के कार्यक्रम में एचआरडीए के सचिव ललित नारायण मिश्रा के कथित जातिवादी बयान देने के मामले में हंगामा होने के बाद अब ब्राह्मण एकता परिषद की ओर से जारी प्रेस नोट को संशोधित किया गया है। इसमें एचआरडीए के सचिव ललित नारायण मिश्रा के बयान को बदल दिया गया है। वहीं सचिव ललित नारायण मिश्रा ने हमें बताया कि मैं कार्यक्रम में गया था लेकिन मैंने इस तरह क कोई बयान नहीं दिया है जो नियमों के खिलाफ हो। वहीं ब्राह्मण एकता परिषद के संस्थापक और वरिष्ठ पत्रकार बालकृष्ण शास्त्री ने बताया कि पहले प्रेस नोट में एचआरडीए सचिव का बयान गलत चला गया था जिसे अब ठीक कर दिया गया है। हालांकि पहले उन्होंने कहा कहा था कि भले ही अफसर संवैधानिक पोस्ट पर हो लेकिन अपने समाज की बात करना सबका हक है इसमें कोई बुराई नहीं है। गौरतलब है कि संगठन के प्रेस नोट में एचआरडीए सचिव ललित नारायण मिश्रा के बयान में लिखा था कि ”हरिद्वार- रुड़की विकास प्राधिकरण के सचिव ललित नारायण मिश्रा जी ने कहा कि हमें नॉकरी के साथ साथ छोटा मोटा व्यवसाय भी करना चाहिए । संस्थान व व्यवसाय का नाम जातिसूचक रखना चाहिए ताकि हमारी सामाजिक पहचान कायम हो सके।”
कार्यक्रम में यूपी के आईपीएस अफसर पंडित जुगल किशोर तिवारी ने भी बतौर एकता परिषद के संरक्षक के तौर पर शिरकत की थी और कहा था कि ब्राह्मणों को पिछलग्गू बनने की प्रवृति छोड़नी होगी, क्योंकि पिछलगू का समाज व राजनीति में कोई महत्व नही होता। आज सभी राजनीतिक दल व जातियां ब्राह्मणों के वजूद को मिटाने में तुले हुए हैं। किसी भी दल में ब्राह्मण के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने कल्पना भूल जाइए । जब तक ब्राह्मणों का अपना झंडा व डंडा नही होगा, तब तक कुछ भला होने वाला नहीं है । उन्होंने कहा कि हमें मजबूत वोट बैंक के रुप में स्थापित होना ही होगा । यदि हमें अपना वजूद कायम रखना है तो एकता कायम करनी होगी । आज हर कोई ब्राह्मणों को अपमानित करने पर तुला हुआ है । इसके लिए हमें दो सेक्टर मीडिया व वकालत के पेशे में सक्रिय होना ही होगा ।
हंगामे के बाद संशोधित हुआ ब्राह्मण एकता परिषद का प्रेस नोट, बोले गलती से लिख दिया गया
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