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स्वामी को कितना नुकसान देंगे मदन कौशिक के राजदार करीबी नरेश, बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार

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विकास कुमार। 

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के करीबी राजदार नेता नरेश शर्मा ने मंगलवार को देहरादून में आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली। नरेश शर्मा भाजपा युवा मोर्चा में कई पदों पर जिम्मेदारी निभा चुके हैं और हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट से तैयारी कर रहे हैं। उनके आप में जाने के बाद ये चर्चा भी है कि नरेश शर्मा को एक राणनीति के तहत आप में भेजा गया है ताकि हरिद्वार ग्रामीण से विधायक और भाजपा सरकार में मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद को नुकसान पहुंचाया जा सके। चूंकि, नगर से भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री व वर्तमान के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक व स्वामी यतीश्वरानंद में पुरानी अदावत है, जिसके चलते इस बात को बल मिल रहा है नरेश शर्मा का आप में जाना इस रणनीति का ही हिस्सा है। 

वरिष्ठ पत्रकार रतनमणी डोभाल ने बताया कि ये बात यही है कि मदन कौशिक और स्वामी यतीश्वरानंद में पुरानी अदावत है। लेकिन नरेश शर्मा काफी लंबे समय से हरिद्वार ग्रामीण में सक्रिय है और वहां से चुनाव की तैयारी भी कर रहे हैं। पिछले चुनाव में भी उन्होंने टिकट मांगा था लेकिन स्वामी यतीश्वरानंद चूंकि सिटिंग एमएलए थे इसलिए नरेश शर्मा का नंबर नहीं आया। इस बार मंत्री बनने के बाद भी नरेश शर्मा का नंबर नहीं आने वाला था। इसलिए उन्होंने सही समय पर सटीक फैसला लिया। जहां तक स्वामी यतीश्वरानंद को चुनावी नफे नुकसान का सवाल है तो भले ही वो मंत्री बन गए हो लेकिन इस बार का चुनाव उनके लिए आसान नहीं है। आम आदमी पार्टी लगातार उत्तराखण्ड में अपना वर्चस्व बढा रही है और हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर आप के असर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। नरेश शर्मा के आप में जाने के बाद इसमें मजबूती मिली है।  

वरिष्ठ पत्रकार आदेश त्यागी बताते हैं कि नरेश शर्मा मदन कौशिक की बिना मर्जी के कोई फैसला लेंगे, ऐसा मुझे नहीं लगता है। वो खुद गए हैं या उन्हें भेजा गया है। ये इस बात पर निर्भर करेगा कि वो अब कैसी राजनीति करते हैं। भाजपा में रहते हुए अभी तक वो संयम का परिचय दे रहे थे। हालांकि लगातार जन संपर्क से वो हरिद्वार ग्रामीण का जाना पहचाना चेहरा बन गए हैं। आप में जाने के बाद उन्हें मजबूती मिलेगी, चूंकि आप हरिद्वार में बहुत तेजी से अपना प्रसार कर रही है। लेकिन स्वामी यतीश्वरानंद के सामने हल्कापन से काम नहीं चलने वाला है। लेकिन ये बात भी सही है कि जितना ज्यादा नरेश मजबूत होंगे उतना स्वामी यतीश्वरानंद को नुकसान होता चला जाएगा। और अगर नरेश शर्मा को एक खास रणनीति के तहत भेजा गया है तो स्वामी यतीश्वरानंद के लिए इस बार चुनाव की राह आसान नहीं होने वाली है। 

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