राकेश वालिया/विक्की सैनी।
संन्यास परंपरा के श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण बैठक में कडा फैसला करते हुए ये ऐलान किया है कि अखाडे के जो भी संत घर—परिवार से रिश्ता रखे हुए हैं या फिर गृहस्थ जीवन जी रहे हैं, उन सभी पर कार्रवाई करते हुए अखाडे से बाहर किया जाएगा।
अखाडे के वरिष्ठ महंत और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी महाराज ने जानकारी देते हुए बताया कि संन्यास परंपरा में आने के बाद संत का पुनर्जन्म होता है। संत अपना घर—परिवार माता—पिता सभी दुनियावी मोह—माया त्याग देता है। इसलिए संत बनने के बाद दोबारा गृहस्थ जीवन में लौटना या फिर घर—परिवार व अन्य परिवारजनों से रिश्ता रखना संन्यास परपंरा के खिलाफ है और सभी संतों ने एकमत से ये फैसला किया है ऐसा करने वाले संतों को अखाडे से बाहर किया जाएगा।
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सात अखाडे हैं संन्यास परपंरा के
संन्यास परंपरा के सात अखाडे हैं जिन्में प्रमुख तौर पर जूना, निरंजनी और महानिर्वाणी, अग्नि, आह्वान, आनंद और अटल अखाडे हैं। इन सभी अखाडों में लाखों की संख्या में नागा संन्यासी और संत हैं। फिलहाल कुंभ चल रहा है और कुंभ में सभी अखाडे हरिद्वार में डेरा डाले हुए हैं। कुंभ मेला एक अप्रैल से शुरु होगा और तीन प्रमुख शाही स्नान अप्रैल में ही होंगे, जिसमें करोड़ों श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद हैं।