लेखक: मनोज श्रीवास्तव, सहायक निदेशक सूचना
प्रभारी विधानसभा मीडिया सेंटर,उत्तराखंड।
परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता है : किसी भी प्रकार के प्रतियोगी परीक्षा में सफलता के लिए कम से कम चार वर्ष पूर्व योजनाबद्व ढंग से तैयारी करने की आवश्यकता होती है। दृढ़ निश्चय अर्थात् अपने निर्णय के प्रति दृढ़ता इसमें हमें सहयोग प्रदान करती है। मार्ग में बाधाऐं आयेगीं लेकिन अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदारी और दृढ़ता की मदद से हम लगातार आगे बढ़ते रहेंगे। यह बात सदैव याद रखनी होगी कि परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता है।
महत्वपूर्ण बात यह कि हम अपनी पढ़ाई एवं अध्ययन केवल नौकरी खोजने तक ही सीमित न रखें। बल्कि जीवन की समस्याओं एवं असफलताओं को कैसे हैन्डल किया जाता है, इसे भी सीखना जरूरी है।
हमारे मन एवं बुद्वि को नये-नये विचारों अथवा विषयों की आवश्यकता होती है। यह विषय अथवा विचार मन एवं बुद्वि को उत्तेजना प्रदान करते हैं। इन नवीन विचारों एवं विषयों की सहायता से हम सुस्त एवं आलसी होने से बच जाते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के दौरान हम हर प्रकार के कार्य करते रहेंगे, परन्तु इन सभी कार्यो का लक्ष्य हमारे उद्देश्य या गोल जुड़ा रहना चाहिए। उदाहरण के लिए यदि हम पिकनिक पर जा रहे हैं अथवा फिल्म देख रहे हंै, इसका उद्देश्य रिफ्रेश होकर अपने अपने लक्ष्य पर लगना होता है।
हम यह भी कह सकते है कि परिधि पर चक्कर लगाते हुए हमारा ध्यान केन्द्र की और फोकस रहेगा। हम ऐसे विषय का चुनाव करेंगे जो हमारे गोल या लक्ष्य से सम्बन्धित होकर हमारे लक्ष्य को पूर्ण करने में सहायक होंगे।
काॅलेज स्तर की पढ़ाई करने के बाद स्टुडेन्ट के मन में तरह-तरह विचार एवं भटकाव आते है। जैसे यदि मेरे कही चयन कही नहीं हुआ तो क्या होगा? हम दूसरों की अपेक्षा बहुत पीछे हैं। अब पढ़ाई में हमारा मन नही लगता है। इस प्रकार के नकारात्मक विचार आना स्वाभाविक है। लेकिन मन एवं बुद्वि को नये-नये विचार अथवा विषय की आवश्यकता होती है। अतः यह विषय अथवा विचार मन एवं बुद्वि को उत्तेजना प्रदान करते रहते है। इसलिए उक्त नकारात्मक विचारों का रिप्लेसमेन्ट करना होगा। जैसे अवसर के दरवाजे हमारे लिए अन्य क्षेत्रों में भी खुले हंै। किया गया मेहनत एवं अनुभव व्यर्थ नहीं जाता है। जिसे हम बड़ा अवसर समझते हैं वह छोटा हो सकता है और जिसे हम छोटा अवसर समझते है वह हमारे लिए बड़ा हो सकता है ।
पढ़ाई बंद करने से असफलता तो निश्चित ही है। हम वहीं करते रहेंगे जो अभी तक करते आये हैं तो रिजल्ट भी वही मिलता रहेगा जो अभी तक मिलता रहा है। नई सोच एवं नये एटीट्यूड से कार्य करें।
सफलता में टाईम मैनेजमेन्ट का अत्यधिक महत्व है। ईश्वर ने सभी व्यक्तियों को कुल 24 घण्टे ही दिये हैं। किसी व्यक्ति को समय न तो कम दिया गया है न अधिक दिया गया है। किसी भी प्रकार की तैयारी के लिए एक साथ चार घण्टे का अध्ययन पर्याप्त होता है। इससे अधिक बिना विश्राम दिये अध्ययन करने का यह अर्थ कि आप पूर्ण एकाग्रता से पढ़ाई नहीं कर रहे हैं।
प्रतियोगी परीक्षा के दौरान अनसाल्वड पेपर एवं क्वेश्चन बैक का अत्यधिक महत्व होता है। इससे हमें प्रश्नो के पैटर्न का पता चलता है और इस पैटर्न पर तैयारी करने में मदद मिलती है। इससे अध्ययन के दौरान ग्राह्यता एवं स्पष्टता रहती है।
महत्वपूर्ण बात यह होता कि हमें केवल प्रतियोगी परीक्षा पास करना है न कि विद्वान बनना है। इसलिए सलेक्टिव स्टडी पर विशेष बल दें। विद्धान बनने का प्रयास न करें। हर टापिक का कोर सेक्टर होता है, इसी कोर टापिक से प्रश्न बनता है। इसलिए हमें इन कोर सेक्टर पर विशेष बल देना चहिये। इसीलिए यह कथन महत्वपूर्ण है कि क्या पढ़ने से अधिक जरूरी है, यह समझना कि क्या न पढ़ा जायें।
एक टापिक पर सौ पुस्तक पढ़ने से अधिक अच्छा है कि एक टापिक पर एक पुस्तक को सौ बार लिया जाए।
एक अन्य महत्वपूर्ण मान्यता यह भी है कि एक व्यक्ति को सभी विषयों का ज्ञान नहीं हो सकता है। हम अपना रोल माॅडल किसी को न बनायें। क्योंकि कोई भी माॅडल हर जगह फिट नहीं बैठता है। हम अपना रोल माॅडल स्वयं हैं। हर व्यक्ति में अलग-अलग विशिष्टताऐं होती हैं। अपने विशिष्टताओं को पहचानेें एवं अपने स्वभाव और प्रकृति के अनुसार तैयारी करें।
कोचिंग क्लास में टीचर के ज्ञान की चैकिंग नहीं करनी चाहिए। हम यह न पता करें कि टीचर को क्या नहीं आता है? टीचर को क्या नहीं आता है यह छोड़ दें और टीचर को क्या आता है इसे ले लें।
बहुविकल्पीय प्रश्न हल करते समय चारों विकल्प बेहद जरूरी है। यह देख लिया जाये कि क्या यह पूछ रहा है अथवा क्या नहीं है, यह पूछा जा रहा है। ध्यान यह भी दिया जाये कि अपवाद के बारे में तो नहीं पूछा जा रहा है।
विस्तृत प्रश्नों का उत्तर कैसे दें, इस सम्बन्ध में यही कहना है कि उत्तर का प्रारम्भ पूछे गये प्रश्न से ही करें। पूछे गये प्रश्न की व्याख्या करें। इसके बाद इसके अनुरूप विवेचना करें। निष्कर्ष देते समय यह ध्यान रखें कि निष्कार्ष प्रश्न के अनुरूप ही हो। उत्तर देते समय बार-बार प्रश्नों को देखते रहें। प्रस्तुतिकरण पर विशेष बल दिया जाय। साफ सुथरे लेखन पर बल दिया जाए। चित्रात्मक विधि का प्रयोग किया जा सकता है। महत्वपूर्ण अंशों को अंडरलाइन कर सकते हैं। टू द प्वाइंट रहें, अनर्गल भटकाव से बचें अन्यथा प्रश्न का मुड आॅफ हो सकता है।
प्रश्न के उत्तर की तैयारी के लिए घर पर माॅक अभ्यास लिखकर लिया जाए। इसके पश्चात अपनी मार्किंग, चैकिंग स्वयं कर लें।
महत्वपूर्ण बिन्दु-
1. परीक्षा पूर्व 24 घण्टे रिवीजन कर लें।
2. परीक्षा से पूर्व पर्याप्त नींद ले लें।
3. परीक्षा हाॅल में ऊर्जा बनायें रखने के लिए चाॅकलेट एवं ग्लुकोज का प्रयोग कर सकते हें।
4. हाॅल में प्रवेश के पूर्व शौचालय का प्रयोग कर लें।
5. पैन, पेन्सिल, स्केल एवं घड़ी इत्यादि की चैकिंग कर लें।
6. प्रवेश पत्र को चैक कर लें। काॅपी में अनुक्रमांक जाॅच लें।
7. एक दिन पूर्व परीक्षा केन्द्र पर जाकर परीक्षा के लिए मानोवैज्ञानिक रूप से तैयार हो जायें। यह प्रयोग साक्षात्कार के समय भी कर लिया जाए।