वक्फ बोर्ड की अधूरी कार्रवाई पर उठे सवाल: क्या बड़े ‘हाथ’ बचा रहे हैं प्रबंधक को?
अतीक साबरी:-
[तारीख]: 12 नवंबर, 2025
वक्फ बोर्ड की आंतरिक जाँच में दरगाह प्रबंधन में गंभीर वित्तीय अनियमितताओं और नियमों के उल्लंघन की पुष्टि होने के बावजूद, आरोपित प्रबंधक के खिलाफ पूर्ण और निर्णायक कार्रवाई न होने से सवालिया निशान खड़े हो गए हैं।
सूत्रों के अनुसार, बोर्ड ने प्रबंधक के वित्तीय अधिकारों को सीज कर दिया है, लेकिन उन्हें दफ्तर के प्रशासनिक नियंत्रण से मुक्त नहीं किया गया है, जिससे वह अब भी दैनिक कार्यप्रणाली को प्रभावित कर रहे हैं।
अधूरे प्रतिबंध और खुली मनमानी
जाँच में उजागर हुआ था कि प्रबंधक सरकारी कर्मचारी (पीआरडी जवान) को अवैध रूप से ड्राइवर की ड्यूटी पर लगा रहे थे, जिसका भुगतान दरगाह के फंड से किया जा रहा था। वित्तीय अधिकार छीन लिए जाने के बावजूद, खबर है कि यह अवैध ड्यूटी अब भी जारी है।
सवाल: अगर वक्फ बोर्ड ने गड़बड़ियों को सही पाया है, तो प्रबंधक को तुरंत पद से क्यों नहीं हटाया गया?
दोषपूर्ण व्यवस्था:
वित्तीय नियंत्रण छीना गया, लेकिन प्रशासनिक शक्ति उन्हीं के पास छोड़ दी गई, जिससे दफ्तर के महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों तक उनकी पहुँच बनी हुई है।
लाखों के दान का हिसाब अब भी अधर में
जाँच में दरगाह के दान और आय-व्यय के रिकॉर्ड में लाखों रुपये के अंतर की बात सामने आई थी। बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, “गड़बड़ी सामने आने के बाद भी, प्रबंधक को दफ्तर में रखना जाँच की पारदर्शिता पर संदेह पैदा करता है। इससे सबूतों के साथ छेड़छाड़ की आशंका बनी रहती है।”
राजनीतिक हस्तक्षेप की बू?
स्थानीय राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा गर्म है कि प्रबंधक को किसी ‘बड़े राजनीतिक संरक्षण’ का फायदा मिल रहा है। यही वजह है कि वक्फ बोर्ड, जो एक स्वायत्त संस्था है, भी पूर्ण कार्रवाई करने से हिचक रहा है। दरगाह के कई पूर्व पदाधिकारियों ने मांग की है कि इस मामले की उच्च स्तरीय, तटस्थ जाँच होनी चाहिए और जब तक जाँच पूरी न हो जाए, प्रबंधक को तत्काल प्रभाव से छुट्टी पर भेजा जाना चाहिए।




