डीएम ने दरगाह के ‘खजाने’ पर डाला ताला! प्रबंधक की मनमानी पर चला ‘बुलडोजर’, अब एक पाई का हिसाब दो!

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अतीक साबरी:-

सबसे बड़ी खबर: ‘वित्तीय भूचाल’ के केंद्र में दरगाह प्रबंधक!

डीएम ने पलटा तख्तापलट, ‘तिजोरी की चाबी’ छीनी!​

📜 भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस: मनमानी के ‘साम्राज्य’ का अंत, 7 दिन में हिसाब दो, वरना सलाखों के पीछे!​🔥 प्रशासन का सख्त रुख:

पिरान कलियर:-डीएम ने एक ऐतिहासिक फैसले में दरगाह के प्रबंधन को हिलाकर रख दिया है। यह कार्रवाई धार्मिक संस्थाओं में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार और मनमानी पर सरकार के ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का स्पष्ट प्रमाण है।​

⚡️ पावर का पूर्ण अधिग्रहण:

जिलाधिकारी (DM) ने दरगाह प्रबंधक के वित्तीय लेनदेन संबंधी सभी अधिकारों (Financial Powers) को तत्काल प्रभाव से सीज करके अपने सीधे नियंत्रण में ले लिया है। यह कदम संकेत देता है कि डीएम के पास ठोस प्रमाण थे कि दरगाह के लाखों-करोड़ों रुपये के दान और चंदे के फंड का दुरुपयोग किया जा रहा था।

​⚖️ ‘मनमानी का किला’ ध्वस्त:

प्रबंधक जिस असीमित वित्तीय स्वतंत्रता के बल पर सालों से मनमानी कर रहा था, वह आज एक ही झटके में खत्म हो गई है। अब दरगाह का कोई भी खर्च, कोई भी निवेश या कोई भी भुगतान डीएम की सीधे मंजूरी के बिना नहीं हो सकता। यह ‘वित्तीय तख्तापलट’ है!​

🚨 अंतिम चेतावनी और लीगल शिकंजा:

प्रबंधक को सिर्फ 7 दिन का वक्त दिया गया है कि वह आय और व्यय का एक-एक पैसा का संपूर्ण, पारदर्शी और प्रमाणित ब्योरा प्रशासन को सौंपे। सूत्रों की मानें तो, जवाब संतोषजनक न होने पर न केवल प्रबंधक को पद से हटाया जाएगा, बल्कि गबन और धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों के तहत कानूनी कार्यवाही और गिरफ्तारी की तलवार भी लटक सकती है।​

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्रवाई देश भर की उन सभी धार्मिक संस्थाओं के लिए एक मिसाल है, जहाँ धन के दुरुपयोग की शिकायतें आम हैं। डीएम का यह कदम यह साबित करता है कि धार्मिक आस्था की आड़ में अब किसी को भी ‘वित्तीय अराजकता’ फैलाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।