*पिरान कलियर दरगाह पर भ्रष्टाचार की छाया: प्रशासन की नाकामी*
न्यूज 129:-ब्यूरों:–पिरान कलियर दरगाह, जो उत्तराखंड की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर है, पर भ्रष्टाचार की छाया गहराती जा रही है। अनेकों शिकायतें, जांच, माननीय उच्च न्यायालय के आदेश, वक्फ बोर्ड के निर्देश, और जिला प्रशासन की रिपोर्ट के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। यह सवाल उठता है कि प्रशासन क्यों मौन है?
*आस्था का संगम स्थल*
पिरान कलियर दरगाह एक ऐसा स्थल है जहां करोड़ों श्रद्धालु हर साल आते हैं। यह आस्था का संगम स्थल है, जहां हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई—सभी धर्मों के तीर्थयात्री मत्था टेकने आते हैं। इतनी बड़ी संख्या में आने वाले जायरीन को व्यवस्थाओं, पारदर्शिता और ईमानदार प्रशासन की सबसे अधिक आवश्यकता होती है।
*भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप*
दरगाह प्रशासन पर वित्तीय गड़बड़ियों, व्यवस्थागत लापरवाहियों और पारदर्शिता के अभाव के गंभीर आरोप वर्षों से लगते रहे हैं। शिकायतें बार-बार उठीं, मीडिया ने आवाज उठाई, अदालत ने आदेश दिए, वक्फ बोर्ड ने निर्देश जारी किए—लेकिन कार्रवाई शून्य।
*प्रशासन की जिम्मेदारी*
ऐसा लगता है जैसे अदृश्य शक्तियां इस भ्रष्टाचार की ढाल बनी हुई हैं। स्थानीय लोग, कारोबारी और जायरीन लगातार आवाज उठाते हैं। महिला जायरीन की सुरक्षा से लेकर सफाई व्यवस्था तक सवालों के घेरे में है। नगर पंचायत पिरान कलियर भी इस जिम्मेदारी से बचती नजर आती है।
*कार्रवाई की मांग और समाधान*
पिरान कलियर की दरगाह के महत्व को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए। एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कमेटी गठित कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। दरगाह के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के लिए आधुनिक तकनीक जैसे डिजिटल ऑडिट, ऑनलाइन फंड मैनेजमेंट और पब्लिक डोमेन में रिपोर्टिंग को अनिवार्य किया जाना चाहिए।
*भविष्य की दिशा में कदम*
आज समय की मांग है कि पिरान कलियर दरगाह को भ्रष्टाचार की परछाइयों से मुक्त कर इसकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गरिमा को पुनः स्थापित किया जाए। यह स्थान न केवल उत्तराखंड की पहचान है बल्कि देश की धरोहर है—और धरोहरों की रक्षा करना शासन-प्रशासन का सर्वोच्च दायित्व है।



