Ateeq sabri :–जैसे-जैसे मतदान की तारीख नज़दीक आ रही है, पिरान कलियर में निकाय चुनाव का रंग चढ़ता जा रहा है। प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए दिन-रात पसीना बहा रहे हैं। चुनाव प्रचार में गली-गली घूमते, हर घर में दस्तक देते, और वोटरों को अपनी तरफ खींचने की जद्दोजहद में लगे ये चेहरे लोकतंत्र के इस उत्सव को और दिलचस्प बना रहे हैं। चुनावी मैदान में कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), और एक निर्दलीय प्रत्याशी शफक्कत अली के बीच मुकाबला है। लेकिन असली टक्कर कांग्रेस के अकरम प्रधान और शफक्कत अली के बीच मानी जा रही है। निवर्तमान चेयरमैन प्रतिनिधि शफक्कत अली की राजनीतिक शैली हमेशा से दिलचस्प रही है। पांच साल पहले अपने पिता को चेयरमैन की कुर्सी तक पहुंचाने वाले शफक्कत इस बार अपनी चाची को मैदान में लेकर आए हैं। हालांकि, उनके लिए मुश्किलें इस बार कुछ ज्यादा ही गहरी नजर आ रही हैं।जनता के बीच सबसे बड़ी नाराजगी यह है कि शफक्कत अली अपने कार्यकाल में नगर पंचायत भवन तक नहीं बनवा पाए। विकास कार्यों में ठोस प्रदर्शन न कर पाने का यह दाग उनकी चुनावी संभावनाओं पर भारी पड़ता दिख रहा है। बिरादरी का समर्थन भी खिसकता नजर आ रहा है, और यही कारण है कि उनकी चुनावी रणनीति कमजोर पड़ती जा रही है। दूसरी तरफ, कांग्रेस से अकरम प्रधान चुनाव मैदान में डटे हैं। वे उसी बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं, जिससे शफक्कत अली आते हैं। यही कारण है कि अब बिरादरी का झुकाव किस ओर होता है, यह देखना दिलचस्प होगा।कांग्रेस का पिरान कलियर में परंपरागत वोट बैंक काफी मजबूत रहा है। साथ ही, विधायक फुरकान अहमद का समर्थन अकरम प्रधान के लिए एक बड़ा राजनीतिक सहारा है। फुरकान अहमद, जो कलियर विधानसभा से लगातार तीसरी बार विधायक चुने गए हैं, अपनी बिरादरी और क्षेत्रीय पकड़ के लिए जाने जाते हैं। उनका प्रचार अभियान अकरम प्रधान की स्थिति को मजबूत कर रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में सहारनपुर के सांसद इमरान मसूद ने भी कलियर आकर चुनावी रैली को संबोधित किया। उन्होंने अपने भाषण में लोगों से अपील की कि वे कांग्रेस के हाथ को मजबूत करें और अकरम प्रधान को विजयी बनाएं। उनके शामिल होने से चुनाव में नया मोड़ आ गया है। शफक्कत अली की स्थिति दिन-ब-दिन कमजोर होती जा रही है। बिरादरी में उपजी नाराजगी और विकास कार्यों में विफलता के चलते उन्हें जनता का समर्थन पाने में दिक्कत हो रही है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि वे किस तरह से अपनी खोई जमीन को वापस पाने की कोशिश करते हैं। शफक्कत अली ने ‘विकास की सड़क पर चाची की सवारी’ का जो खेल खेला है, वह इस बार शायद ही काम आए। जनता विकास चाहती है, वादों का खेल नहीं। कांग्रेस का मजबूत संगठन, अकरम प्रधान की सक्रियता, और इमरान मसूद व फुरकान अहमद जैसे नेताओं का समर्थन चुनावी दंगल को एकतरफा बना सकता है।25 जनवरी को कलियर नगर पंचायत की जनता किसे अपना नेता चुनेगी, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन अगर चुनावी हवा के मौजूदा झोंके को माने तो अकरम प्रधान का पक्ष मजबूत है!