लूट की लाइव वारदात और ऋषिकेश के ‘मूकदर्शक’ नागरिक: 15,000 गंवाने के बाद वन गुर्जर ने उठाई सुरक्षा पर आवाज

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लूट की लाइव वारदात और ऋषिकेश के ‘मूकदर्शक’ नागरिक: 15,000 गंवाने के बाद वन गुर्जर ने उठाई सुरक्षा पर आवाज​

अतीक साबरी:-​

ऋषिकेश, उत्तराखंड: ऋषिकेश को देवभूमि का शांत प्रवेश द्वार माना जाता है, लेकिन मंगलवार को अवधूत आश्रम मार्ग पर हुई एक सनसनीखेज वारदात ने इस धारणा को ध्वस्त कर दिया है। दिनदहाड़े चार बदमाशों ने एक दूध बेचने वाले वन गुर्जर को घेरकर 15,000 की नगदी छीन ली। यह घटना सिर्फ लूटपाट की नहीं है, बल्कि यह इस बात का सबूत है कि कानून-व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है और नागरिक समाज अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा है।​

भीड़ देखती रही तमाशा, बढ़े अपराधियों के हौसले-​

पीड़ित वन गुर्जर ने मीडिया को बताया कि वह सुबह दूध बेचकर अपनी मासिक कमाई लेकर लौट रहे थे। सुनसान जगह के बजाय, यह वारदात अवधूत आश्रम मार्ग के एक व्यस्त हिस्से में हुई।​

अपराध का पैटर्न:

चार आरोपियों ने दो-दो के समूह में हमला किया। उन्होंने गुर्जर को रोककर पैसों से भरा थैला छीनने की कोशिश की।​

मदद की गुहार: गुर्जर ने विरोध किया और जोर-जोर से चिल्लाते रहे, राहगीरों और दुकानदारों से मदद की गुहार लगाई।​

नागरिक उदासीनता की पराकाष्ठा: आश्चर्यजनक रूप से, इस व्यस्त मार्ग पर कई लोग जमा हो गए, लेकिन कोई भी आगे नहीं आया। सभी ने सिर्फ ‘तमाशा’ देखा, जिससे अपराधियों को लूट को अंजाम देने और भागने के लिए पर्याप्त समय मिल गया।

​गुर्जर का सीधा सवाल: “जब मैं चिल्ला रहा था, तो एक पल के लिए मुझे लगा कि कोई तो इंसानियत दिखाएगा। लेकिन लोग मोबाइल निकालकर वीडियो बना रहे थे या डरकर दूर खड़े थे। अगर ऋषिकेश में दिनदहाड़े इतनी भीड़ के सामने कोई सुरक्षित नहीं है, तो रात में क्या हाल होगा?

“​पुलिस की ‘वीक-पॉइंट’ बनी अवधूत आश्रम मार्ग​

इस क्षेत्र में पहले भी छिटपुट चोरी और छीना-झपटी की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि पुलिस की गश्त (पेट्रोलिंग) सिर्फ मुख्य बाजारों तक सीमित है, जबकि अवधूत आश्रम मार्ग जैसे महत्वपूर्ण संपर्क मार्गों पर सुरक्षा व्यवस्था लगभग शून्य है।​

सुरक्षा का विश्लेषण: 15,000 की यह राशि वन गुर्जर के परिवार की दैनिक और मासिक जरूरतों के लिए महत्वपूर्ण थी। अपराधियों को पता था कि दूधिया के पास सुबह के समय नकदी होगी—यह दर्शाता है कि लूट योजनाबद्ध थी।

​प्रशासन की विफलता: दिन के उजाले में हुई इस वारदात ने साबित कर दिया है कि स्थानीय पुलिस न सिर्फ खुफिया तंत्र में बल्कि त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र (Rapid Response System) में भी विफल रही है।​

उच्चाधिकारियों से हस्तक्षेप की मांग​

इस घटना के बाद, स्थानीय वन गुर्जर समुदाय और अन्य दूध विक्रेता संघों ने पुलिस उच्चाधिकारियों से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।​कड़ी कार्रवाई: उनकी मांग है कि न केवल अपराधियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए, बल्कि उन पर गैंगस्टर एक्ट जैसी कड़ी धाराएं लगाई जाएं ताकि क्षेत्र में अपराध करने वालों को एक सख्त संदेश मिले।​

गश्त में सुधार: शहर के सभी संपर्क मार्गों पर महिला और पुरुष पुलिस कर्मियों की नियमित पैदल गश्त (Foot Patrol) शुरू की जाए।​जागरूकता अभियान: पुलिस को एक नागरिक जागरूकता अभियान चलाना चाहिए, जिसमें लोगों को अपराध के समय ‘मूकदर्शक’ न बनने और पुलिस को तुरंत सूचना देने के लिए प्रेरित किया जाए।